हैदराबाद : कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के महागठबंधन बनाने के बावजूद, भाजपा असम में लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी करने में सफल रही. भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन एक बार फिर राज्य में सरकार बनाएगा. असम विधानसभा चुनाव में भाजपा नीत एनडीए ने 75 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर लिया है. राज्य विधानसभा में कुल 126 सीटें हैं.
असम में एनडीए की जीत की कुछ खास बातें
- एनडीए के लिए यह जीत काफी अहम है क्योंकि राज्य में एनडीए सरकार को 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन राजनीतिक रूप से इसका बहुत अधिक प्रभाव इस बार चुनाव पर नहीं पड़ा.
- सीएए के मुद्दे को उठाने वाली कांग्रेस और उसके सहयोगियों काे एनडीए ने झटका दे दिया. कहने का मतलब है कि सीएए को लेकर हो-हल्ला मचाने के बावजूद यह कुछ खास असर नहीं दिखा पाया.
- भाजपा की कल्याणकारी योजनाएं, विशेष रूप से अरुणोदय योजना के तहत नकद हस्तांतरण का चुनाव नतीजों पर व्यापक असर देखने को मिला है.
- बीजेपी को मोरान, मिसिंग, राभा, देवरी जैसे छोटे समुदायों के वोट से जीत हासिल करने कामयाबी मिली है.
- राज्य में काेराेना संकट से निपटने में असम सरकार विशेष रूप से स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के कार्याें काे लोगों ने सराहा.
- सीएम सर्बानंद सोनोवाल और मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जैसे दो मजबूत क्षेत्रीय चेहरों की मौजूदगी ने चुनाव में बीजेपी को बहुत फायदा पहुंचाया.
इस चुनाव में बिना काेई प्रचार अभियान चलाए जेल में बंद आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई ने सिबसागर विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की, जबकि ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) के पूर्व नेता लुरिनज्योति गोगोई नहरकटिया और दुलियाजान दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से हार गए.
बता दें कि सिबसागर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार सुरभि राजकाेंवारी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रचार अभियान चलाने के बावजूद आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई जीतने में कामयाब रहे.
अखिल गोगोई ने नवगठित रेजर दल के टिकट पर चुनाव लड़ा था. वहीं लुरिनज्योति गोगोई ने चुनाव के ठीक पहले बनी पार्टी असम जातीय परिषद (AJP) के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से उम्मीद के मुताबिक लोगों का समर्थन हासिल करने में असफल रहे.
भाजपा ने असम में विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ा था और पिछले पांच वर्षों में किए गए विकास कार्यों काे जनता तक पहुंचाने पर विशेष जाेर दिया. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस गठबंधन और साथ ही दो नए क्षेत्रीय दलों ने नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ लाेगाें की भावना को भुनाने की कोशिश की.