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इस दरगाह में पत्थर बताते हैं मौसम का हाल, खासियत जान आप भी रह जाएंगे हैरान

हरियाणा के पानीपत में बू अली कलंदर शाह की दरगाह देश और दुनिया में काफी प्रसिद्ध है. एक समय था जब इस दरगाह पर कई देशों के जायरीन हर साल आते थे. यह दरगाह कई मायने में खास है. यहां पर मौसम बताने वाला पत्‍थर भी है. मान्यता है कि 500 साल पहले दरगाह में पत्थर से मौसम की भविष्यवाणी की जाती थी. आखिर ये पत्थर कैसे काम करता है, आइए जानते हैं... (Bu Ali Shah Qalandar Dargah panipat)

weather prediction by stone in Dargah
बू अली कलंदर शाह की दरगाह में लगाते हैं पत्थर से मौसम का अनुमान

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Published : Jun 12, 2023, 8:48 AM IST

Updated : Jun 12, 2023, 6:29 PM IST

दरगाह के खादिम ने बताया कि कैसे लगाते हैं पत्थर से मौसम का अनुमान.

पानीपत: आज हम आधुनिक युग में जी रहे हैं. आधुनिक युग में हमने अपने लिए ऐसे संसाधन जुटा लिए हैं, जिनसे हम कई चीजों के बारे में पहले ही अनुमान लगा लेते हैं. ऐसा ही अनुमान हम मौसम का भी लगा लेते हैं. जैसे, बारिश होगी तो पहले ही मौसम विभाग उसकी चेतावनी जारी कर देता है. आने वाली गर्मी से लेकर तूफान तक की जानकारी मौसम विभाग हमें देता रहता है. आज से 500 साल पहले भी लोग मौसम का अनुमान लगा लेते थे, कि बारिश कब होगी और कितनी होगी, गर्मी कितनी होगी और ठंड कितनी पड़ेगी. सैटेलाइट ना होने पर भी उस समय के लोग मौसम का सटीक अनुमान लगा जानकारी जुटा लेते थे.

बू अली कलंदर शाह की दरगाह में लगाते हैं पत्थर से मौसम का अनुमान: आइए हम बताते हैं कि 500 साल पहले के लोग यह जानकारी किस तरह जुटाते थे. पानीपत जिले के बीचों-बीच बनी बू अली कलंदर शाह की दरगाह की देश विदेश के लोग मान्यता है. यहां बहुत से नायाब पत्थर रखे हुए हैं, जो किसी राजा ने यहां दीवारों में जड़वाए थे. इन पत्थरों में से एक ऐसा पत्थर भी है जिसे मौसम पत्थर के नाम से जाना जाता है. इस मौसम पत्थर से लोग मौसम का अनुमान लगाया करते थे. इन पत्थरों से पता लग जाता था कि बारिश कब होगी और कितनी होगी.

बू अली कलंदर शाह की दरगाह में लगाते हैं पत्थर से मौसम का अनुमान.

'दरगाह में पत्थर से मौसम का अनुमान': दरगाह पर रहने वाले खादिम मोहम्मद रिहान बताते हैं कि जब बारिश होने वाली होती है तो इस पत्थर पर पहले ही पानी की छोटी-छोटी बूंदे इकट्ठा होने लगती हैं. जब ज्यादा बारिश होने का अनुमान होता है तो यह पत्थर पूरा गीला हो जाता है. वहीं, जब गर्मी अधिक पड़ने की संभावना होती है तो पहले ही यह पत्थर गर्म हो जाता है. सर्दियों में भी इसी तरह इस पत्थर का तापमान बदलता रहता है.

इस पत्थर पर अब तक कई लोग कर चुके हैं रिसर्च.

'पत्थर पर अब तक कई लोग कर चुके हैं रिसर्च': मोहम्मद रिहान कहते हैं कि उनके पिता मोहम्मद सूफी दरगाह की देखरेख किया करते थे. उन्हें इस पत्थर से मौसम को पढ़ना आता था. पानीपत में सिर्फ वही ऐसे शख्स थे, जो इस पत्थर को पढ़ सकते थे और मौसम की जानकारी दे सकते थे. करीब 2 महीने पहले ही उनका देहांत हो गया. इस पत्थर के बारे में देश और विदेशों से लोग आकर रिसर्च भी कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई भी यह जानकारी नहीं दे पाया कि यह पत्थर किस तरह और कैसे कार्य करते हैं.

पानीपत में बू अली कलंदर शाह की दरगाह.

कहां से आए ये पत्थर?: यह मौसम पत्थर करीब 500 साल पहले नवाब मुकर्रम अली जो कैराना के बहुत बड़े हकीम थे, उन्होंने बू अली शाह कलंदर की दरगाह पर लगवाए थे. जनश्रुतियों के अनुसार यह पत्थर हकीम मुकर्रम अली को जिन्न द्वारा भेंट किए गए थे. कहा जाता है कि जिन्न की बेटी का इलाज मुकर्रम अली ने किया था, जिससे खुश होकर जिन्न ने ये पत्थर भेंट किए गए थे. मुकर्रम अली बू अली शाह कलंदर के मुरीद हुआ करते थे तो उन्होंने इन मौसम पत्थरों को दरगाह की दीवारों में जड़वा दिया. इतना ही नहीं मुकर्रम अली को भी देहांत के बाद इसी दरगाह में दफनाया गया.

इसी पत्थर से मौसम का अनुमान लगाते हैं.

कौन थे बू अली शाह कलंदर?: कलंदर शाह का जन्म पानीपत में ही था. कलंदर शाह के माता-पिता इराक के रहने वाले थे. कलंदर शाह के पिता शेख फखरुद्दीन अपने समय के महान संत और विद्वान थे. इनकी मां हाफिजा जमाल भी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं. हालांकि कलंदर शाह के जन्म स्थान को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. कुछ लोगों का कहना है कि उनका जन्म तुर्की में हुआ, जबकि कई लोगों का कहना है कि उनका जन्म अजरबैजान हुआ था.

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Last Updated : Jun 12, 2023, 6:29 PM IST

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