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लोक सभा में वेपंस ऑफ मास डिस्ट्रक्शन से जुड़ा विधेयक पेश, जानिए क्या है मकसद

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Published : Apr 5, 2022, 1:41 PM IST

लोक सभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक 2022 पेश किया. इस विधेयक से बनने वाले कानून के उद्देश्य में लिखा गया है कि जैविक और रासायनिक हथियार के गैरकानूनी उपयोग पर अंकुश लगाया जाएगा. इस विधेयक के माध्यम से 2005 के कानून में संशोधन किया जाएगा.

MEA jaishankar lok sabha
लोक सभा में विदेश मंत्री डॉ जयशंकर

नई दिल्ली :दी वेपंस ऑफ मास डिस्ट्रक्शन एंड देयर डिलिवरी सिस्टम (प्रॉहिबिशन ऑफ अनलॉफुल एक्टिविटी) अमेंडमेंट बिल 2022 (The Weapons of Mass Destruction and their delivery systems (prohibition of unlawful activities) Amendment Bill 2022) के माध्यम से 17 साल पुराने कानून में संशोधन की पहल की गई है. लोक सभा में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने मंगलवार को हंगामा, शोरशराबा और नारेबाजी के बीच विधेयक पेश किया.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक 2022 पेश किया
सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक 2022 (पेज-एक)
सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक 2022 (पेज-दो)
सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक 2022 (पेज-तीन)
सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक 2022 (पेज-चार)
सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक 2022 (अंतिम पेज)

लोक सभा की वेबसाइट पर मौजूद विधेयक के ब्यौरे के मुताबिक सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक 2022 के माध्यम से 2005 के कानून में संशोधन होगा. कानून में संशोधन के उद्देश्यों में कहा गया है कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय संगठनों की ओर से सामूहिक संहार के हथियार (Weapons of Mass Destruction) और उनकी डिलिवरी प्रणालियों के प्रसार से जुड़े विनियमों का विस्तार किया गया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की ओर से भी अहम निर्णय लिए गए हैं, ऐसे में 17 साल पुराने कानून में संशोधन जरूरी है.

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