नई दिल्ली:देश के कारखानों में पिछले कुछ समय में उत्पादन में काफी गिरावट दर्ज की गयी. लो बेस इफेक्ट के बावजूद यह देखने को मिला है. शीर्ष अर्थशास्त्री ने कहा कि यह आर्थिक सुधार पर सवालिया निशान है. देश के औद्योगिक उत्पादन को औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के रूप में साल दर साल के आधार पर आंका जाता है. उन्होंने कहा कि दिसंबर 2021 में औद्योगिक उत्पादन दर में केवल 0.4 की वृद्धि हुई जो पिछले चार महीने में सबसे कम है.
फिच ग्रुप की कंपनी के इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि कमजोर आईआईपी वृद्धि मौजूदा रिकवरी पर सवालिया निशान लगाती है. यह भी संकेत देता है कि नीति निर्माताओं को औद्योगिक सुधार का समर्थन करने के लिए और अधिक उपाय करने पड़ सकते हैं क्योंकि उत्पादन में शामिल कारकों खासकर ईंधन और अन्य सामानों की दर में वृद्धि का असर उत्पाद पर पड़ा है. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत के औद्योगिक उत्पादन में सितंबर 2021 में, उसी महीने में 2020 के मुकाबले 5.4% की वृद्धि दर्ज की गई.
इसी तरह, IIP में अक्टूबर में 5.2% की वृद्धि दर्ज की गई, और 2020 के दौरान औद्योगिक उत्पादन की तुलना में पिछले साल नवंबर में 9% की वृद्धि दर्ज की गई. हालांकि, पिछले साल दिसंबर में आईआईपी की वृद्धि 0.4% तक गिर गई, क्योंकि सूचकांक दिसंबर 2020 में 137.4 से बढ़कर दिसंबर 2021 में 138.0 हो गया.
सिन्हा ने कहा कि अनुकूल बेस इफेक्ट के बावजूद, दिसंबर 2021 में खनन क्षेत्र में 2.6% की मामूली वृद्धि दिखाई दी.(दिसंबर 2020: नकारात्मक 3.0%). दिसंबर 2021 में बिजली क्षेत्र में हाईबेस के बावजूद 2.8% की वृद्धि देखी गई (दिसंबर 2020: 5.1%).
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