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Index of Industrial Production: कमजोर खपत मांग अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में पाया गया कि भारत का कारखाना उत्पादन इस वर्ष मार्च में केवल 2% की मामूली गति से बढ़ा है. कारखाने के उत्पादन का निराशाजनक प्रदर्शन मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र में मामूली वृद्धि के लिए जिम्मेदार है. यह क्षेत्र औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) का सबसे बड़ा घटक है.

Index of industrial production 2022
Index of industrial production 2022

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Published : May 14, 2022, 11:58 AM IST

Updated : May 14, 2022, 12:30 PM IST

नई दिल्ली: औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का आकलन है कि कमजोर खपत मांग अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है. यदि तीन घटकों विनिर्माण, खनन और बिजली उत्पादन में से प्रत्येक के आंकड़ों को देखा जाए तो क्रमशः 0.9%, 4% और 6.1% की वृद्धि दर्ज की गई है.

वहीं उपयोगकर्ता आधारित वर्गीकरण के अनुसार कारखाने के उत्पादन के चार खंडों जैसे प्राथमिक सामान, पूंजीगत सामान, मध्यवर्ती सामान और बुनियादी ढांचे के सामान ने पिछले साल इसी महीने के दौरान उनकी वृद्धि की तुलना में इस साल मार्च में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की. प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन में 5.7 प्रतिशत, पूंजीगत वस्तुओं में 0.7 प्रतिशत, मध्यवर्ती वस्तुओं (0.6 प्रतिशत) और बुनियादी वस्तुओं के उत्पादन में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. बुनियादी ढांचे के सामान के उत्पादन की वृद्धि दर पिछले साल मार्च-अप्रैल में देश में भयंकर कोविड की लहर के बावजूद पिछले वर्ष के दौरान पूंजीगत व्यय में भारी वृद्धि के सकारात्मक परिणाम को दर्शाती है.

लेकिन आधिकारिक डेटा भी उपभोक्ता भावनाओं की कमजोरी को दर्शाता है क्योंकि उपभोक्ता टिकाऊ और गैर-टिकाऊ दोनों में मार्च में 3.2% और 5.0% की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई. उपयोग आधारित वर्गीकरण में वृद्धि के पैटर्न से पता चलता है कि उच्च मुद्रास्फीति और बढ़ती ब्याज दरों के कारण अगले कुछ महीनों तक कमजोर खपत की मांग बनी रहने की संभावना है. क्योंकि रिजर्व बैंक ने बेंचमार्क इंटरबैंक उधार दर में 40 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है.

हालांकि बुनियादी ढांचे के सामानों की अधिक मांग होने की संभावना है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए पूंजीगत व्यय के लिए रिकॉर्ड 7.5 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत संशोधित अनुमानों के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान पूंजीगत व्यय 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक था जो एक रिकॉर्ड है. कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार उच्च मुद्रास्फीति दर के साथ-साथ खपत की मांग में कमजोरी, कमजोर आर्थिक विकास के लिए बड़ा जोखिम है.

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दूसरा, रूस-यूक्रेन के लंबे युद्ध का प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव भारत और विश्व अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण जोखिम है. यह देश में आने वाले अधिक निजी निवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की उम्मीदों को धराशायी कर सकता है.

Last Updated : May 14, 2022, 12:30 PM IST

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