नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूद कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के लिए पीठ गठित करनी होगी. अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुम्परा द्वारा दाखिल उनकी पुरानी अर्जी का उल्लेख त्वरित सुनवाई के लिए करने पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 'मुझे संविधान पीठ गठित करनी होगी.'
नेदुम्परा ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के हालिया साक्षात्कार का संदर्भ दिया, जो पिछले साल 25 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो गए. न्यायमूर्ति कौल ने 29 दिसंबर को एक साक्षात्कार में कहा था कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को कभी काम करने का मौका नहीं दिया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में नाराजगी पैदा हुई और उच्च न्यायापालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम प्रणाली के कामकाज में बाधा उत्पन्न हुई.
वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम बनाया था. एनजेएसी को न्यायिक नियुक्तियां करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसमें प्रधान न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री और प्रधान न्यायाधीश द्वारा नामित दो अन्य प्रसिद्ध व्यक्ति, प्रधानमंत्री तथा लोकसभा में नेता विपक्ष शामिल थे. उच्चतम न्यायालय ने हालांकि, अक्टूबर 2015 में एनजेएसी अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था.