नई दिल्ली:जैसा कि मणिपुर में हिंसा से कोई राहत नहीं दिख रही है, हिंसा से प्रभावित राज्य की सैकड़ों महिलाएं सोमवार को नई दिल्ली की सड़क पर आ गईं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खून-खराबा रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की.
शांति के लिए ख्वाइरंबम एमा कैथल संयुक्त समन्वय समिति (Khwairambam Ema Keithal Joint Coordinating Committee) का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाओं ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा घोषित 10 लाख रुपये के मुआवजे को भी खारिज कर दिया.
समिति की सदस्य ने कहा कि 'हमें क्षणिक मुआवजा नहीं चाहिए. हम पैसे का क्या करेंगे. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में दखल देने की अपील करते हैं ताकि हिंसा तुरंत खत्म हो सके.'
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में मणिपुर की अपनी यात्रा के दौरान 3 मई से शुरू हुई हिंसा में पीड़ित परिवारों के परिजनों को 10 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी.
समिति की एक अन्य सदस्य इमान जानू बेहम ने कहा, 'मणिपुर 45 दिनों से अधिक समय से सबसे भयानक सांप्रदायिक आपदा से पीड़ित है, प्रधानमंत्री के पास मणिपुर जाने का समय नहीं है और एक शब्द भी नहीं कहा है. चूंकि, उनके पास मणिपुर जाने का समय नहीं है, हम, शांति के लिए ख्वाइरंबम एमा कैथल संयुक्त समन्वय समिति की 75 महिला प्रतिनिधि प्रधानमंत्री से मिलने दिल्ली आई हैं.'
मणिपुर की महिला प्रतिनिधियों ने राज्य में 'बांटो और राज करो' की नीति खेलने के लिए गृह मंत्री अमित शाह की भी आलोचना की. कमेटी ने कहा कि 'हम हाल के दिनों में गृह मंत्री और नागा-कुकी विधायकों के बीच हुई बैठक की निंदा करते हैं. एसओओ के तहत कुकी सशस्त्र समूहों को विनियमित करने और राज्य में अपने तीन दिनों के प्रवास के बावजूद सामान्य स्थिति वापस लाने में गृह मंत्री की विफलता ने मणिपुर के लोगों को और अधिक आशंकित कर दिया है.'