नई दिल्ली :कृषि कानून के विरोध ने निरंकारी मैदान में पिछले दिनों से हजारों की संख्या में किसान डटे हुए हैं. किसानों ने सरकारी सुविधाओं का प्रयोग करने से इनकार कर दिया है और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को ही अपना घर बनाया है.
यही नहीं वे अपने साथ 6 महीने का राशन भी लेकर आए हैं. लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार किसान मांगें पूरा होने तक इसी तरह डटे रहेंगे. उनका कहना है कि एमएसपी किसानों का हक है, सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करे.
केंद्र सरकार वापस ले कृषि कानून. 'कॉरपोरेट घरानों के हित में किसान कानून'केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानून के विरोध में किसानों का विरोध जारी है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान किसानों ने स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार के ऊपर निशाना साधते हुए इसे काला कानून बताया और कहा कि इसे केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट घरानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया है. इससे किसानों को किसी भी प्रकार से कोई फायदा नहीं होने वाला, बल्कि किसानों का नुकसान होगा. आज पंजाब ही नहीं पूरे देश के किसानों को अपनी फसलों के हक का दाम भी नहीं मिलता है, जिसकी वजह से किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं.
'मांगों को लेकर इसी तरह डटे रहेंगे किसान'
केंद्र सरकार को हर हालत में इसे वापस लेना होगा. जब तक केंद्र सरकार इसे वापस नहीं लेगी, तब तक हमारा विरोध-प्रदर्शन इसी तरह से जारी रहेगा. चाहे हमें कितना ही लंबा समय लगे, हम अपनी मांगों को लेकर इसी तरह डटे रहेंगे. बता दें कि 26 नवंबर से लगातार देश की राजधानी दिल्ली में किसानों का केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए किसान बिल के विरोध में प्रदर्शन जारी है.