नई दिल्ली :कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली का साफ कहना है कि कानून-व्यवस्था का मुद्दा गंभीर मामला है और किसी भी गंभीर राजनीतिक दल को इस पर विचार करना चाहिए. जहां तक किसी संगठन पर बैन लगाने की बात है, तो जो संस्था राज्य में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करेगी उस पर कार्रवाई होगी. मोइली को पूरा भरोसा है कि इस बार जनता कांग्रेस को सत्ता में लाएगी. हालांकि जब उनसे पूछा गया कि सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री कौन होगा? तो साफ किया कि फैसला नवनिर्वाचित विधायकों की राय पर निर्भर करेगा. विस्तार से पढ़िए पूरा साक्षात्कार.
सवाल :भाजपा ने कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में बजरंग दल पर प्रस्तावित प्रतिबंध का विरोध किया है. पीएम मोदी का आरोप है कि कांग्रेस भगवान हनुमान को बंद करना चाहती है. क्या आपको लगता है कि कांग्रेस घोषणा पत्र में इस मुद्दे का जिक्र करने से बच सकती थी?
जवाब : देखिए, कांग्रेस के घोषणापत्र में क्या कहा गया है, पहले इस बात को स्पष्ट कर लेते हैं. इसमें कहा गया है कि सरकार पीएफआई या बजरंग दल जैसी किसी भी संस्था के खिलाफ कार्रवाई करेगी जो राज्य में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करेगी. अब, कानून-व्यवस्था का मुद्दा एक गंभीर मामला है और किसी भी गंभीर राजनीतिक दल को इस पर विचार करना चाहिए. अगर वे (पीएफआई या बजरंग दल) कानून व्यवस्था को बाधित नहीं करेंगे, तो कोई समस्या नहीं होगी. एक घोषणापत्र को जमीनी स्तर की स्थिति से संबंधित होना चाहिए. उल्लेख हमारे इरादों को स्पष्ट करता है कि हम कानून के शासन में विश्वास करते हैं.
यहां महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि हमारे घोषणापत्र में इसका जिक्र सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश से आता है जिसमें राज्यों को सांप्रदायिक सद्भाव की रक्षा के लिए किसी भी अभद्र भाषा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है. देश संविधान से चलना चाहिए.
पीएम मोदी की नीतियों ने पिछले वर्षों में सामाजिक सद्भाव को बाधित किया है और वह अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करते हैं. नतीजतन, लोग दुखी हैं. उन्होंने बजरंग दल प्रतिबंध के मुद्दे को पकड़ लिया है क्योंकि भाजपा के पास कर्नाटक में उपलब्धियों के मामले में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है. बजरंग दल का मुद्दा भाजपा की मदद करने वाला नहीं है जो हनुमान चालीसा के पाठ के माध्यम से मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है. इसे पढ़ना ही काफी नहीं है, उन्हें उन मूल्यों पर भी खरा उतरना होगा. सभी धर्म शांति का प्रचार करते हैं न कि घृणा का.
सवाल :कांग्रेस कर्नाटक में आक्रामक प्रचार कर रही है. आप पार्टी की संभावनाओं को कैसे देखते हैं?