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ममता पर स्मृति ईरानी का हमला, बोलीं- पहले तो हाथ खून से सने हुए थे, अब दामन पर भी लगे दाग

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं में मानव अधिकारों के उल्लंघन की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को सौंपने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने इस मामले से संबंधी आदेश वापस लेने से इनकार करते हुए इस बारे में राज्य सरकार का आवेदन खारिज कर दिया. इसके बाद भाजपा ने कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) के रूख की प्रशंसा की. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस प्रकरण में पश्चिम बंगाल सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि उनके हाथ खून से सने हुए थे, लेकिन अब तो दामन पर भी दाग लग चुका है.

स्मृति ईरानी बंगाल हिंसा हाईकोर्ट
स्मृति ईरानी बंगाल हिंसा हाईकोर्ट

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Published : Jun 21, 2021, 6:47 PM IST

Updated : Jun 21, 2021, 10:01 PM IST

कोलकाता / नई दिल्ली :भाजपा ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार की एक अर्जी खारिज किए जाने की सराहना की. भाजपा नेता सह केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) के इस दावे के लिए उनकी आलोचना की कि उनकी सरकार के तहत हिंसा का भाजपा का आरोप एक 'नौटंकी' था, और एक महिला से उसके पोते के सामने कथित बलात्कार और भगवा पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या की घटनाओं का हवाला देते हुए सवाल किया कि क्या ये सब 'नौटंकी' थी.

सोमवार को ईरानी ने कहा, 'ईमानदार मुख्यमंत्री को न्याय सुनिश्चित करने के लिए खुद पर इसे लागू करना चाहिए. लेकिन, मैंने हमेशा कहा है कि राजनीतिक यातना, हत्या और बलात्कार टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) के राजनीतिक हथियार हैं और चुनाव के बाद बंगाल में हो रही हिंसा उनके खिलाफ मेरे रुख की पुष्टि करती है.'

राज्यपाल की आलोचना पर भड़कीं
ईरानी ने राज्य की सत्तारूढ़ टीएमसी की राज्यपाल जगदीप धनखड़ की आलोचना को भी खारिज कर दिया कि वह भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं. ईरानी ने कहा कि वह 'अनगिनत बलात्कारों', हत्याओं और हिंसा से बचने के लिए अपने घरों से भाग रहे नागरिकों के लिए 'मूक दर्शक' नहीं हो सकते. उन्होंने आरोप लगाया कि बनर्जी का रुख है कि प्रताड़ना हो, बलात्कार हो लेकिन इस पर कोई कुछ मत बोले.

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उच्च न्यायालय ने धिक्कारा और शर्मसार किया
भाजपा की वरिष्ठ नेता ईरानी ने कहा, 'मेरा सवाल उस महिला (बनर्जी) से है जिन्होंने यह कहकर राजनीतिक पद ग्रहण किया कि वह बंगाल के लोगों के लिए समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी. उन्होंने दलितों, आदिवासियों और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने वालों के खिलाफ हिंसा की अगुवाई की...और आज, पश्चिम बंगाल की सरकार के रुख को उच्च न्यायालय ने धिक्कारा और शर्मसार (admonished and shamed) किया.'

उदारवादी लोगों की चुप्पी पर सवाल
महिला और बाल विकास मंत्री ईरानी ने कहा, 'बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के अनगिनत पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए मैं अदालत का आभार व्यक्त करती हूं.' उन्होंने महिला अधिकारों और मानवाधिकारों की रक्षा करने वाले उदारवारदी लोगों की 'चुप्पी' के लिए उन पर निशाना साधा.

सुरक्षा के लिए कैमरे के सामने गिड़गिड़ाए
बनर्जी ने हाल में कहा था कि राज्य में हिंसा की कुछ घटनाएं हुई हैं लेकिन उन्हें राजनीतिक हिंसा नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा था कि भाजपा का ऐसा आरोप एक 'नौटंकी' है. ईरानी ने पलटवार करते हुए कहा कि ऐसी भी घटनाएं हुईं जब लोग सुरक्षा के लिए कैमरे के सामने गिड़गिड़ाए.

ममता से तीखे सवाल
ईरानी ने कहा कि क्या लोगों को सिर्फ इसलिए राशन देने से मना किया जा रहा है कि वे भाजपा के समर्थक हैं. क्या यह भी नौटंकी है. उन्होंने कहा कि बंगाल के नागरिकों न केवल अदालतों को बल्कि एससी और एसटी आयोगों और एनएचआरसी के सामने भी सबूत रखे हैं. ईरानी ने सवाल किया, 'क्या ये तथ्य ममता बनर्जी के वास्तविक नहीं हैं?'

कलकत्ता हाईकोर्ट का रूख
बता दें कि अदालत ने मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित कर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था. सोमवार को पांच न्यायाधीशों की पीठ ने जनहित याचिकाओं के एक समूह पर पारित आदेश को वापस लेने का पश्चिम बंगाल सरकार का आवेदन खारिज कर दिया.

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याचिकाओं में लगाए गए गंभीर आरोप
इन जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक हमलों की वजह से लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा, उनके साथ मारपीट की गई, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और कार्यालयों में लूटपाट की गई. पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) से इन घटनाओं की जांच के लिए कहा था.

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हिंसक घटनाओं में हजारों लोग प्रभावित
उच्च न्यायालय पीठ ने 18 जून को पश्चिम बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव (डब्ल्यूएमएलएसए) की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए यह आदेश सुनाया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि इन घटनाओं से 10 जून दोपहर 12 बजे तक 3243 लोग प्रभावित हुए हैं.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jun 21, 2021, 10:01 PM IST

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