कोलकाता: पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने अलगाववादी आंदोलन के खिलाफ हमेशा कड़ा रुख अपनाया है. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी को बार-बार यह कहते सुना गया है कि वे बंगाल के विभाजन के खिलाफ हैं.
उत्तर बंगाल को एक अलग राज्य बनाने की कसम खाने वाले अलगाववादी आंदोलनों को विफल करने के लिए, बंगाल की सत्ताधारी पार्टी आगामी बजट सत्र में ही बंगाल के विभाजन के खिलाफ कड़ा संदेश देने के लिए एक प्रस्ताव ला रही है. संयोग से राज्य सरकार का यह फैसला अहम समय पर आ रहा है.
जिस समय केएलओ प्रमुख जीवन सिंह ने पड़ोसी राज्य असम की मांगों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, गोरखालैंड की मांग पहाड़ियों में जोर से और स्पष्ट रूप से सुनाई दी. कूचबिहार में फिर से अनंत महाराज ग्रेटर कूचबिहार की मांग कर रहे हैं. राज्य का दावा है कि केंद्र सरकार इन सभी मांगों का समर्थन कर रही है.
राज्य विधानसभा में कड़ा संदेश देने के लिए अलगाववादी आंदोलन को विफल करने का प्रस्ताव लाया जा रहा है. सब कुछ ठीक रहा तो 13 फरवरी को राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पर चर्चा होगी. संयोग से यह पहली बार नहीं है कि बंगाल के विभाजन का विरोध करने वाला प्रस्ताव विधानसभा में लाया गया है.