हैदराबाद : सांस नहीं ले सकते. पानी भी नहीं पी सकते. हर चीज बेहद जहरीली. इस तरह की घुटन भरी बदबू के बीच 50,000 से अधिक लोग एक साथ वर्षों से अपने जीवन काट रहे हैं. यह जैदीमेटला औद्योगिक क्षेत्र के निवासियों की कहानी है. यहां के फार्मा और रासायनिक उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट सीधे हवा और पानी में मिल रहे हैं. इसके कारण यहां रहने वाले लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रहीं हैं.
50 हजार लोग रह रहे
कुबदुल्लापुर विधानसभा क्षेत्र में स्थित जैदीमेटला औद्योगिक पार्क पूरे एशिया में सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है. इसमें 1200 आधिकारिक और 1000 से अधिक अनौपचारिक फार्मा, रासायनिक और इंजीनियरिंग उद्योग हैं. इस औद्योगिक क्षेत्र के साथ लगती दस आवासीय कॉलोनियों में लगभग 50 हजार लोग रह रहे हैं. यहां का भूजल तीन फीट में ही निकलता है, लेकिन बहुत जहरीला हो गया है. उद्योगों से निकलने वाले रसायनों पर प्रशासनिक मशीनरी ध्यान नहीं दे रही. परिणामस्वरूप, इसे अब लोग इस्तेमाल नहीं करते. इन सभी के लिए जल बोर्ड का पानी एकमात्र जीवन रेखा है.
बस खर्च बचाने के लिए ...
नियमानुसार ठोस अपशिष्ट पदार्थ को डिंडीगुल डंपिंग यार्ड में भेजा जाना चाहिए. कम घनत्व वाले जल प्रवाह को शुद्ध किया जाना चाहिए और नालों में जाने देना चाहिए. यदि घनत्व अधिक है, तो उन्हें शुद्धिकरण केंद्रों में ले जाना चाहिए. हालांकि, प्रत्येक टैंकर के लिए 10 हजार से 20 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इस खर्च से बचने के लिए कुछ उद्योगों ने नालों से सटे खाली जमीनों को लीज पर ले लिया और नालों को पानी के साथ मिलाया. कुछ उद्योग मिश्रित बोरवेल में मिला रहे हैं. ये उपाय भूजल को प्रदूषित कर रहे हैं.
असाध्य रोग
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि जैदीमेटला के आसपास के क्षेत्रों में भूजल में आर्सेनिक, निकेल, कैडमियम और अन्य रसायन और भारी धातुएं अनुपात से अधिक हैं. यहां तक कि बालानगर के आसपास के इलाकों में भी यही स्थिति है. यहां का पानी लाल हो गया है. इसका उपयोग करने पर खुजली, आंखों की जलन, त्वचा रोग, सांस लेने में समस्याएं पैदा हो रही हैं.