रायपुर: छत्तीसगढ़ ओडिशा महानदी जल विवाद मामले में वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल ने सर्वे का काम मंगलवार से शुरू कर दिया है. पांच दिनों तक यह सर्वेक्षण का काम जारी रहेगा. इस सर्वे के तहत गैर मानसून क्षेत्र में नदी में जल प्रवाह, पानी की उपलब्धता और उपयोग का अध्ययन किया जा रहा है. तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल ने एक तकनीकी टीम की मदद से धमतरी जिले से दौरा शुरू किया, जहां नदी का उद्गम होता है
22 अप्रैल तक चलेगा सर्वेक्षण: छत्तीसगढ़ जन संपर्क विभाग के अधिकारी ने बताया कि" 22 अप्रैल को समाप्त होने वाले सर्वेक्षण के पहले चरण में ट्रिब्यूनल, छत्तीसगढ़ में महानदी बेसिन को कवर करेगा, दूसरे चरण में 29 अप्रैल से तीन मई तक यह टीम ओडिशा का दौरा करेगा.ट्रिब्यूनल अब तक 36 सुनवाई कर चुका है" जनसंपर्क विभाग के अधिकारी ने कहा कि" 25 मार्च 2023 को नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच जल विवाद की सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान एक क्षेत्र सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया था.
सर्वेक्षण पर सीएम भूपेश बघेल ने दिया बयान: वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल के दौरे के बारे में सीएम भूपेश बघेल ने भी बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि" यह मामला ट्रिब्यूनल में नहीं जाना चाहिए था. महानदी छत्तीसगढ़ से निकलती है और हमारे यहां कोई बांध नहीं है. विवाद बैराज बनने के बाद शुरू हुआ. पानी के बंटवारे को लेकर चल रहे विवाद के चलते हम सरगुजा में बांध और बैराज नहीं बना सके. मैं समझता हूं कि हमें बांध निर्माण के लिए अनुमति लेनी चाहिए, क्योंकि नदी का पूरा पानी ओडिशा में जाता है"
छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग के अधिकारी ने कहा कि "मध्य प्रदेश से विभाजन के बाद 1 नवंबर, 2000 को छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आय़ा. यहां एसटी और एससी समुदाय के लोग ज्यादा रहते हैं. पांच नदियों महानदी, गोदावरी, गंगा, ब्राह्मणी, नर्मदा के बेसिन क्षेत्र छत्तीसगढ़ में हैं, और राज्य की 78 प्रतिशत आबादी महानदी बेसिन में रहती है, जो राज्य की जीवन रेखा है. जल संसाधनों को साझा करने के लिए ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच कभी कोई अंतर-राज्य समझौता नहीं हुआ है. हालांकि पानी के बंटवारे को लेकर मतभेदों को दूर करने के लिए पहले कुछ प्रयास किए गए हैं"
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छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग के अधिकारी की माने तो "महानदी बेसिन क्षेत्र में स्थित कुछ परियोजनाओं पर 1983 में समझौता हुआ था. तब मध्य प्रदेश और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. ओडिशा सरकार ने 2016 में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय (अब जल शक्ति मंत्रालय) के पास अपस्ट्रीम में औद्योगिक उद्देश्य के लिए छह बैराज के निर्माण पर आपत्ति दर्ज की थी. इसके अलावा विशेष रूप से डाउनस्ट्रीम में कम प्रवाह पर आपत्ति जताते हुए एक शिकायत दर्ज की थी.2018 में, केंद्र ने तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल का गठन किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर अध्यक्ष और जस्टिस डॉ रवि रंजन और पटना और दिल्ली उच्च न्यायालयों के इंदरमीत कौर कोचर सदस्य के रूप में शामिल थे.ट्रिब्यूनल का गठन ओडिशा सरकार द्वारा दायर एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद किया गया था. जिसमें अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम के तहत निर्णय की बात कही गई थी. इसके तहत महानदी नदी और इसकी नदी घाटी के जल विवाद को दूर करने के लिए ट्रिब्यूनल को भेजने की मांग की गई थी"
सोर्स: पीटीआई