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पानी संकट पर दिल्ली-हरियाणा में रार, जल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

दिल्ली में पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है. दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा पर पानी की कटौती का आरोप लगाते सुप्रीम कोर्ट के 1996 के आदेश का पालन न करने के लिए हरियाणा के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव और जल संसाधन विभाग के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर की है. वहीं, पूरे मामले पर आरोप-प्रत्यारोप भी तेज है. पढ़ें पूरी खबर.

दायर की याचिका
दायर की याचिका

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Published : Jul 12, 2021, 4:18 PM IST

Updated : Jul 12, 2021, 4:51 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली के पास कोई जल स्रोत नहीं है. दिल्ली पानी के लिए पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा पर निर्भर है. जिसके चलते इन राज्यों से दिल्ली का विवाद होता रहा है. इस समय दिल्ली हरियाणा के बीच जल विवाद एक बार फिर बढ़ता दिखाई दे रहा है.

दिल्ली सरकार राजधानी में पानी की कमी के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहरा रही है. दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा पर पानी की कटौती का आरोप लगाते सुप्रीम कोर्ट के 1996 के आदेश का पालन न करने के लिए हरियाणा के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव और जल संसाधन विभाग के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर की है. जलसंकट को देखते हुए तुरंत सुनवाई की अपील की है. वहीं हरियाणा सरकार दिल्ली सरकार के आरोपों को नकारते हुए दिल्ली सरकार पर पानी की बर्बादी का आरोप लगा रही है.

राघव चड्ढा ने सुनिए क्या कहा

दिल्ली जल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में डाली याचिका

दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि 1995-96 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हरियाणा को निर्धारित मात्रा में पानी देना था. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा का कहना है कि हरियाणा सरकार ने दिल्ली को दिए जाने वाले पानी में 100 MGD की कटौती की है, जिससे करीब दिल्ली की 20 लाख की आबादी प्रभावित हो रही है. यही वजह है अब हरियाणा सरकार के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली जल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.

1956 से चल रहा है विवाद

दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी के बंटवारे को लेकर होने वाला विवाद नया नहीं है. यह विवाद 1956 से ही चल रहा है, जब वह पूर्वी पंजाब का हिस्सा था. इस बीच दोनों सरकारें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ती रही हैं, लेकिन ये समस्या आज भी नहीं सुलझी है. बरसात के दिनों में जब यमुना का जलस्तर बढ़ता है तो दिल्ली में जलभराव की समस्या आ जाती है, वहीं जब गर्मी के समय में दिल्ली बूंद-बूंद के लिए तरसती है तो हरियाणा सरकार पर पानी की कटौती के आरोप लगते रहे हैं.

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इसको लेकर यमुना नदी ट्रेब्यूनल बनाया गया जिसमें पानी के बंटवारे की सीमा तय की गई. उसके बाद में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1995 में दिल्ली को पानी देने को लेकर फैसला सुनाया. लेकिन इस बार ये विवाद फिर गहराता जा रहा है. पिछले काफी दिनों से दिल्ली सरकार हरियाणा सरकार पर लगातार दिल्ली के हक का पानी रोकने का आरोप लगा रही है.

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दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा का आरोप है कि हरियाणा यमुना नदी में 221 क्यूसेक यानी करीब 100 MGD पानी कम छोड़ रहा है. जिसके चलते दिल्ली के तीन बड़े वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के प्रोडक्शन में 100 MGD की कमी आई है. जो 245 MGD से घटकर 145 MGD हो गई है. वहीं चंद्रावल में 90 MGD से घटकर 55 MGD, वजीराबाद में 135 MGD से घटकर 80 MGD और ओखला में 20 MGD से घटकर 15 MGD रह गई है.

राघव चड्ढा ने कहा कि हरियाणा सरकार की कटौती के कारण NDMC के VIP इलाकों जैसे, सुप्रीम कोर्ट, प्रधानमंत्री निवास, राष्ट्रपति भवन और दूतावास के इलाकों में पानी की सप्लाई बाधित हो रही है. साथ ही आम जनता भी त्राहि-त्राहि कर रही है .

वहीं हरियाणा सरकार दिल्ली सरकार के आरोपों को नकारती रही है. हरियाणा के मुख्यमंत्री का कहना है कि दिल्ली में पानी की कमी का जिम्मेदार आप सरकार का कुप्रबंधन है. इसके अलावा हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार का कहना था कि वो दिल्ली को 719 क्यूसेक की बजाय रोजाना 1049 क्यूसेक पानी दे रहा है.

दिल्ली में पानी की कमी के लिए आप सरकार का कुप्रबंधन जिम्मेदार : हरियाणा

हरियाणा सरकार ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में लीकेज होने की वजह से करीब 300 क्यूसेक पानी बर्बाद हो जाता है. हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली वजीराबाद रिजर्वायर में काफी मात्रा में पानी देता है जो पानी की बर्बादी है. इसके बावजूद हरियाणा दिल्ली को लगातार पानी देता रहा है. हरियाणा सरकार ने कहा था कि दिल्ली के 2017-18 के आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि लीकेज की वजह से ट्रीटेड पानी का 30 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो जाता है. जिसका मतलब है कि करीब 300 क्यूसेक पानी बर्बाद हो रहा है.

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सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील सुमित पुष्कर्णा ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने जल विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. जिसके बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों सचिवों की बैठक प्रस्तावित की गयी. पिछले 5 फरवरी को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि वो यमुना में साफ पानी के रास्ते में आ रही सभी रुकावटों को दूर करें.

Last Updated : Jul 12, 2021, 4:51 PM IST

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