नई दिल्ली: भगवान की जाति पर टिप्पणी करने के एक दिन बाद जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने सफाई देते हुए कहा कि वह डॉ बीआर अंबेडकर ने जो कहा था उसकी व्याख्या कर रही थी. बता दें कि एक व्याख्यान के दौरान उन्होंने कहा था कि मानवशास्त्रीय रूप से भगवान उच्च जाति के नहीं हैं. जेएनयू के कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने कहा कि यह हिंदू धर्म का श्रेय है कि गौतम बुद्ध से लेकर बीआर अंबेडकर तक के महान असंतुष्टों को मनाया जाता है. शांतिश्री धुलिपुडी पंडित जेंडर जस्टिस पर डॉ बीआर अंबेडकर के विचार विषय पर आधारित एक कार्यक्रम में समान नागरिक संहिता पर बोल रहीं थीं.
उन्होंने कहा, 'मैं डॉ बीआर अंबेडकर और लैंगिक न्याय पर बोल रही थी, समान नागरिक संहिता को डिकोड कर रही थी, इसलिए मुझे विश्लेषण करना था कि उनके विचार क्या थे, इसलिए मैं उनकी किताबों में जो कहा गया था, वह मेरे विचार नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा, ' मैंने यह भी कहा कि हिंदू धर्म ही एकमात्र धर्म और जीवन का एक तरीका है. सनातन धर्म असहमति, विविधता और अंतर को स्वीकार करता है. कोई अन्य धर्म ऐसा नहीं करता है और यह हिंदू धर्म का श्रेय है कि गौतम बुद्ध से लेकर अंबेडकर तक ऐसे महान असंतुष्टों को मनाया जाता है.'
मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं 'शूद्र' हैं, इस टिप्पणी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह अंबेडकर के काम का विश्लेषण कर रही थीं. 'उन्होंने मनुस्मृति पर बहुत कुछ लिखा और उन्होंने ही यह सब कहा. मैं केवल उनके दृष्टिकोण का विश्लेषण कर रही थी और वह भारतीय संविधान के पिता और मसौदा समिति के अध्यक्ष होने के नाते- उनके दर्शन को समझना बेहद जरूरी है. जब मैं लैंगिक न्याय के बारे में बात कर रही थी, मेरे लिए इस दृष्टिकोण का विश्लेषण करना भी बहुत महत्वपूर्ण था.'