नई दिल्ली:कांग्रेस ने मोदी सरकार के 2016 के आर्थिक सुधारों पर सवाल उठाए हैं. इसमें मुख्य रूप से इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की. कांग्रेस के प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्ल ने इस मुद्दे को लेकर कहा, 'इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) को गेम चेंजर और मोदी सरकार द्वारा बड़े टिकट वाले आर्थिक सुधारों में से एक के रूप में बिल किया गया था. लेकिन वास्तविकता यह है कि यह अपने पूर्ववर्ती 1985 के बीमार औद्योगिक कंपनी अधिनियम (SICA) और इसके औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड से भी बदतर निकला है.
इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) वित्तीय का मतलब संकट में फंसे फर्मों को बचाना और वित्तीय लेनदारों के पैसे बचाना है. इनमें ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक होते हैं. हालाँकि, पिछले आठ वर्षों में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत वसूली केवल 17.6 प्रतिशत रही है जबकि वित्तीय लेनदारों को घाटा 82.4 प्रतिशत था.
कांग्रेस प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने कहा, 'कम से कम 75 प्रतिशत कंपनियां जो इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड में गईं, स्क्रैप की बिक्री में समाप्त हो गईं. इसका मतलब यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के जिन बैंकों ने इन फर्मों को पैसा उधार दिया था, उनका पैसा डूब गया. क्या इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 में संगठित लूट के लिए लाया गया था?'
उन्होंने कहा, 'पीएम ने 2016 में दावा किया था कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी एक बड़ा सुधार है और इसके परिणामस्वरूप 100 प्रतिशत की वसूली होगी. अफसोस की बात है कि आईबीसी के तहत रिकवरी सिर्फ 17.6 फीसदी रही है. वास्तव में आईबीसी के पूर्ववर्ती एसआईसीए (SICA) के तहत 25 प्रतिशत की वसूली काफी बेहतर थी.'