नई दिल्ली: भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने शनिवार को कहा कि अमरनाथ गुफा के निचले इलाकों में अचानक आई बाढ़ से पहले तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए पहले ही चेतावनी जारी कर दी गई थी. सीमा सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले साल भी इसी तरह की बाढ़ आई थी.
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे ने यहां नई दिल्ली में एक विशेष साक्षात्कार में 'ईटीवी भारत' से कहा, 'हमने लोगों को वास्तविक बाढ़ आने से 15-20 मिनट पहले चेतावनी दी थी. वे सुरक्षित स्थानों पर जा सकते थे.' पांडे ने कहा कि उन्होंने सीटी बजाई और लोगों से विशेष प्रभावित क्षेत्र को खाली करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा कि 'ऐसा नहीं है कि हम उस तरह की आपदाओं से अवगत नहीं थे. पिछले साल भी एक घटना हुई थी. उसी नदी में बाढ़ आई थी और एक सुरक्षा बल आधार शिविर क्षतिग्रस्त हो गया था. दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण था लोग फंस गए हैं.
पांडे ने कहा कि यह एक बहुत ही कठिन इलाका और ऊंचाई वाला क्षेत्र है और हमेशा बाढ़ की संभावना बनी रहती है. उन्होंने कहा कि यह इलाका बेहद संकरा है और इसमें किसी तरह के बदलाव की गुंजाइश बहुत कम है. पांडे ने कहा, 'यह एक ही गली है. लोग इस मार्ग से पवित्र गुफा तक जाते हैं. यह दिमाग में था लेकिन आप बाढ़ का रुख नहीं बदल सकते.' पांडे ने कहा कि प्रभावित ज्यादातर स्थानीय लोग और तीर्थयात्री हैं जो अमरनाथ गुफा के रास्ते में कुछ आराम करते हैं.
पांडे ने कहा, 'स्थानीय दुकानदार तीर्थयात्रियों के लिए अपना स्टॉल खोलते हैं. वे सड़क पर प्रसाद, फूल और अन्य हस्तशिल्प वस्तुओं जैसे कुछ सामान बेचते हैं. प्रभावित क्षेत्रों में कोई स्थायी शिविर नहीं था ... कुछ दुकानदारों और तीर्थयात्रियों ने पानी के प्रवाह को गलत बताया जिसके बाद वे फंस गए.' यह स्वीकार करते हुए कि पानी के प्रवाह को डायवर्ट नहीं किया जा सकता है, पांडे ने कहा कि भविष्य में ऐसी आपदा से बचने के लिए कुछ वैकल्पिक मार्ग का पता लगाया जा सकता है या बनाया जा सकता है.