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आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य की तस्वीर, हर तकनीक का लक्ष्य जीवन खुशहाल बनाना : एम वेंकैया नायडू

जोधपुर पहुंचे उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने जोधपुर सिटी नॉलेज एवं इनोवेशन क्लस्टर का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में यह तकनीक महत्वपूर्ण होगी.

नायडू
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Published : Sep 28, 2021, 1:59 PM IST

जोधपुर :उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, राज्यपाल कलराज मिश्र ने आईआईटी जोधपुर में जोधपुर सिटी नॉलेज एवं इनोवेशन क्लस्टर का उद्घाटन किया. यहां उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि आने वाला समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है.

यह तकनीक हर क्षेत्र में आगे आने वाली है. 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में यह तकनीक महत्वपूर्ण होगी. उन्होंने कहा कि यह सही है कि यह तकनीक जॉब कम करती है, लेकिन इससे भविष्य में काम भी बढ़ेंगे. भारत का युवा जो लगातार अपग्रेड हो रहा है खासकर डेटा साइंस में उनके लिए बहुत फायदेमंद होगी. इस तकनीक से नए स्टार्टअप्स आएंगे.

जोधपुर सिटी नॉलेज एवं इनोवेशन क्लस्टर का उद्घाटन

उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पावर आने वाले समय मे सरकार की नीतियों में भी भागीदारी निभाएगी. इसमे कृषि, स्वास्थ्य और गर्वनेंस में बहुत लाभ होगा. आईआईटी जोधपुर में आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति ने कहा कि तकनीक का अंतिम लक्ष्य आम आदमी के जीवन को खुशहाल बनाना है. सरकार भी इसमे काम कर रही है.

कृषि के क्षेत्र में तकनीक उत्पादन बढ़ेगी जिससे किसानों का जीवन स्तर बनेगा. नायडू ने कहा कि बैंक का काम तकनीक से आसान हुआ है. जब देश मे खाते खोले गए तो कुछ लोगों ने कहा कि इससे क्या होगा, लेकिन आज इससे बहुत फायदा हो रहा है. सरकारी योजनाओं में सीधे मदद लाभार्थी के खाते में जा रही है. यह बहुत बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि आईआईटी जोधपुर के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर जो काम हो रहा है वह सराहनीय है. सब मिलकर स्किल पर काम कर रहे हैं.

प्रदेश के पहले क्लस्टर का शुभारंभ

जोधपुर सिटी नॉलेज एवं इनोवेशन क्लस्टर का उद्घाटन किया. इस तरह के क्लस्टर देश में दिल्ली, पुणे, चंडीगढ़, हैदराबाद और उड़ीसा में शुरू किए गए हैं. यह क्लस्टर रीजनल सॉल्यूशन सेंटर के रूप में काम करेंगे. इसके अलावा उन्होंने 100 करोड़ की लागत से बनने वाली सेंसर लैब का भी शिलान्यास किया. कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री बी.डी. कल्ला, राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, आईआईटी के निदेशक शांतनु चौधरी, एम्स के निदेशक डॉ. संजीव मिश्रा सहित अन्य मौजूद थे.

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मातृभाषा में हो शुरूआती शिक्षा

नायडू ने कहा कि मातृभाषा में प्राम्भिक शिक्षा जीवन को बहुत कुछ सिखाती है. मातृभाषा हमारी आंख होती है. इससे बालक अपने परिवार, मां, मातृभूमि के सम्मान सीखता है. अन्य भाषाएं भी महत्वपूर्ण होती हैं वे हमारे लिए चश्मे का काम करती हैं. हमे वो भी सीखनी चाहिए, लेकिन मातृभाषा सबसे जरूरी है. इसमे भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की आने वाले समय मे महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

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