हैदराबाद:चर्चितविवेकानंद रेड्डी हत्याकांड में आरोपी सांसद अविनाश रेड्डी की अग्रिम जमानत याचिका पर तेलंगाना उच्च न्यायालय में शुक्रवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सीबीआई ने इस याचिका का विरोध किया. सीबीआई ने न्यायालय में अहम खुलासा करते हुए कहा कि इस समय आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए. इससे मामले की जांच प्रभावित हो सकती है. जांच में तेजी लाने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत है. इससे पहले उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया.
सीबीआई ने कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी को पूर्व मंत्री विवेकानंद रेड्डी की हत्या के बारे में जानकारी उनके निजी सहायक एमवी कृष्णा रेड्डी ने किसी दूसरे को बताने से पहले दी. सीबीआई ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि अगर आईपीडीआर के माध्यम से सांसद अविनाश रेड्डी के फोन की जांच की गई, तो वह हत्या की सुबह 4.11 बजे व्हाट्सएप पर सक्रिय थे. विवेकानंद की हत्या के बारे में वाईएस जगन को सूचित करने में अविनाश रेड्डी की भूमिका की जांच की जानी चाहिए. सीबीआई ने कहा कि दूसरा आरोपी वाई सुनील यादव, विवेकानंद की हत्या के बाद रात 1.58 बजे अविनाश रेड्डी के घर पर मौजूद था और अविनाश के व्हाट्सएप वॉयस कॉल को देखते हुए पुलिस हिरासत में सांसद से पूछताछ करना जरूरी है.
सीबीआई ने बताया कि इस महीने की 22 तारीख को सीबीआई की एक टीम अविनाश रेड्डी को गिरफ्तार करने के लिए कुरनूल के विश्वभारती अस्पताल के लिए रवाना हुई, लेकिन अविनाश के चाहनेवाले वहां इकट्ठा हो गए और सड़क को जाम कर दिया. कुरनूल एसपी ने अविनाश रेड्डी को गिरफ्तार करने में मदद मांगी. क्योंकि उन्हें शांति और सुरक्षा भंग होने की चिंता थी. इसमें कहा गया कि वह 22 तारीख को भी सुनवाई में शामिल नहीं हुए. इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून तक जांच पूरी करने के आदेश जारी किए हैं, लेकिन अविनाश रेड्डी जानबूझकर जांच को रोकने के लिए अड़ंगा लगा रहे हैं. इन्हीं कारणों को देखते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने की मांग की है.