नगरोटा (जम्मू और कश्मीर): जीओसी व्हाइट नाइट कॉर्प्स लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने बुधवार को कहा कि जम्मू में हिंसा काफी कम हुई है. जम्मू के नगरोटा में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ स्थानीय लोगों का बहुत समर्थन है. अब तक, जम्मू में हिंसा काफी कम हुई है और अगर कोई घाटी की ओर से आया है, तो उसे बेअसर कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों की घुसपैठ, गोला-बारूद और नशीले पदार्थों की तस्करी की कोशिश करता रहता है लेकिन लेकिन हमारे पास एक मजबूत घुसपैठ रोधी ग्रिड है और लगाताक भीतरी इलाकों को सुरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इसके अलावा, ड्रोन से पैदा हुए खतरे के लिए ड्रोन विरोधी तंत्र शुरू किया गया है. पंजाब और मैदानी इलाकों में ड्रोन का खतरा अधिक है. उन्होंने कहा कि हमारे (व्हाइट नाइट कॉर्प्स) क्षेत्रों में ड्रोन कम देखे जा रहे हैं और हमें संदेह है कि यहां देखे गए ड्रोन दुश्मन द्वारा टोही हैं, इसलिए हम जल्द ही एक ड्रोन-विरोधी तंत्र यहां भी लगायेंगे.
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उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में, भारतीय सेना के व्हाइट नाइट कोर के तहत नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर कोई सफल घुसपैठ नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि सेना कई पहल कर रही है जो शिक्षा, खेल और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों सहित युवाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करती है. बाद में उन्होंने कहा कि 'दुश्मन देश' युवाओं में कट्टरता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है. इसका मुकाबला करने के लिए हमें सेना के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर भी निरंतर प्रयास करना होगा. उन्होंने इसे एक राष्ट्रीय प्रयास करार दिया.
उन्होंने कहा कि दुश्मन कट्टरपंथ का सहारा ले रहा है. अकेले सेना इसका मुकाबला नहीं कर सकती है, लेकिन समाज को भी प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह एक संपूर्ण राष्ट्रीय प्रयास है. हम प्रशासन और धर्मगुरुओं को अपने साथ ले जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि व्हाइट नाइट कॉर्प्स भी जम्मू क्षेत्र में नशीले पदार्थों और घुसपैठ का मुकाबला करने के लिए काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी भर्ती अधिक घाटी केंद्रित है.
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हाल ही में विजिलेंस डिफेंस गार्ड्स (वीडीजी) बनाए गए हैं जिसके तहत आतंकी तालिब हुसैन को स्थानीय लोगों ने पकड़ लिया था. पहले, इस योजना को ग्राम रक्षा समितियों (VDC) के रूप में जाना जाता था, जहां गांवों के स्वयंसेवकों को भारतीय सेना और पुलिस द्वारा प्रशिक्षित किया जाता था. इस योजना के तहत, वीडीसी को राइफलें प्रदान की गईं हैं. उन्होंने अपने गांवों को आतंकवादी हमलों और आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों से विशेष रूप से जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में काफी बचाया है. वीडीसी सदस्यों ने भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद की है.