विनायक चतुर्थी :संकट के समय यदि लंबोदर भगवान गणेश की पूजा की जाए तो सभी संकट दूर हो जाते हैं. भगवान गणेश के आशीर्वाद की प्राप्ति हेतु विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने रखा जाता है. इस व्रत को करने से विघ्न दूर होते हैं और जातक की संतान बुद्धिमान होती है. Vinayaka Chaturthi के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करना चाहिए. आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी 21 जून बुधवार को दोपहर 3 बजकर 9 मिनट पर शुरू और अगले दिन शाम 5 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी.इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा दोपहर में करना चाहिए.आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी की पूजा विधि और विनायक चतुर्थी के उपाय.
जानिए विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व:यह व्रत हर महीने रखा जाता है.महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. विनायक चतुर्थी को 'वरद विनायक चतुर्थी' भी माना जाता है (इच्छा-पूर्ति का आशीर्वाद वरद कहलाता है). ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से भक्त की संतान बुद्धिमान होती है, उसकी याददाश्त में सुधार होता है और उसके मानसिक विकास में तेजी आती है. साथ ही गणेश जी को संकटमोचक भी माना जाता है. इसलिए विनायक चतुर्थी के दिन दूर्वा, फूल और मोदक का प्रसाद चढ़ाकर पूजा करनी चाहिए और गणराय का आशीर्वाद लेना चाहिए.
ऐसे करें विनायक चतुर्थी पूजा
सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें. पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें और भगवान गणेश को आसन अर्पित करें. विनायक को पीले फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए. धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, मोदक-लड्डू का भोग और दूर्वा अर्पित करें. व्रत कथा पढ़कर विनायक की आरती करें. संकटों से छुटकारा पाने के लिए ॐ गं गणपतये नमः , गणेश अथर्वशीर्ष , संकटनाशन गणेश स्त्रोत का पाठ करना चाहिए