चित्रकूट: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के चित्रकूट में पानी को लेकर सरकारी दावे व वादे अब पूरी तरह से फेल होते दिख रहे हैं. कई गांव में पेयजल का भीषण संकट उत्पन्न हो गया है. आलम यह है कि अब यहां के ग्रामीणों को पानी की खोज में भटकना पड़ रहा है. साथ ही जनपद के गोपीपुर ग्राम में केवल इसलिए कई युवा की शादी नहीं हुई, क्योंकि उनके गांव में पानी नहीं है.
बुंदेलखंड के चित्रकूट का पाठा कहलाने वाले मानिकपुर विकास खंड के दर्जनों गांवों में आज लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. यहां के ग्रामीण रोजाना पानी की तलाश में एक गांव से दूसरे गांव में भटकते हैं, ताकि उनका गला तर हो सके. वहीं, पानी के लिए केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी सुबह से ही निकल जाते हैं. यहां पानी की समस्या के कारण कुंवारे लड़कों की शादी तक नहीं हो पाती है. गांव में पानी नहीं है इसलिए कोई अपनी बेटी इन गांवों में नहीं देना चाहता. लिहाजा, शादी की आस में कई युवा अब प्रौढ़ हो चुके हैं.
दशकों से चली आ रही है पानी की समस्या:बुंदेलखंड के चित्रकूट में कई दशकों से पानी की समस्या चली आ रही है. कई सरकारों ने पानी की समस्या के लिए करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए. लेकिन पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है. यहां सूरज की तपिश बढ़ते ही नदी, नाले, पोखर और तालाब सूख जाते हैं और पानी का जलस्तर नीचे गिरने से हैंडपंप व बोर में भी पानी नहीं आता. जिसके चलते इंसानों के साथ-साथ बेजुबान भी बूंद-बूंद पानी को तरसने लगते हैं.
विवाहिता ने जताया दुख:एक विवाहिता ने अपनी समस्याओं को बयां करते हुए कहा कि उसकी शादी को 18 साल हो गए हैं. जब से वो इस गांव में ब्याह कर आई है, तभी से वो यहां पानी की समस्या देख रही है. पीने के लिए भी कोसों दूर से सिर पर पानी ढोकर लाना होता है. जिसके कारण अक्सर सिर में दर्द रहता है. लेकिन लाचारी का आलम यह है कि बिना पानी कुछ संभव ही नहीं है, सो सिर की पीड़ा को दरकिनार कर हम पानी के लिए भटकने को मजबूर हैं.