बोकारो: धनगढ़ी में मलवा हटाने पहुंची रेलवे, जिला प्रशासन और पुलिस की टीम का ग्रामीणों ने जोरदार विरोध किया. ग्रामीणों ने पुलिस-प्रशासन की टीम पर हमला कर दिया. इस हमले में डीएसपी, थाना प्रभारी समेत पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए.
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घटना के बारे में बताया जाता है कि तलवाडिया रेल लाइन के दोहरीकरण के लिए धनगढ़ी गांव में 173 दिन पहले अतिक्रमण हटाया गया था, लेकिन मलवा वहीं पड़ा हुआ था. बुधवार की सुबह जब बोकारो स्टील सिटी के लोग सो रहे थे तभी जिला प्रशासन और रेलवे प्रशासन सुबह 4 बजे गांव पहुंच गया और मलवा हटाने का काम शुरू कर दिया. ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू कर दिया और पत्थरबाजी शुरू हो गई जिसमें हरला थाना प्रभारी संतोष कुमार, सिटी डीएसपी कुलदीप कुमार समेत पांच पुलिसकर्मी जख्मी हो गए.
ग्रामीणों द्वारा पत्थरबाजी की घटना के बाद पुलिस ने रबर बुलेट का प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले छोड़े. डीसी कुलदीप चौधरी, एसपी चंदन कुमार झा, मुख्यालय डीएसपी मुकेश कुमार, सिटी डीएसपी कुलदीप कुमार के अलावे आवासीय दंडाधिकारी मनीषा वत्स, डीटीओ संजीव कुमार, बोकारो के लगभग सभी थाने के इंस्पेक्टर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात हैं.
ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस सुबह सुबह पहुंची और गांव के लोगों के घरों को बाहर से बंद कर दिया और धरना दे रहे लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटना शुरू कर दिया. ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने घर में घुसकर महिलाओं के साथ भी मारपीट की. गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई है. वहीं चास के एसडीएम दिलीप प्रताप सिंह शेखावत ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के दौरान शुरू में थोड़ी झड़प हुई. गांव के लोगों की ओर से पत्थर फेंके गए, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. काम शुरू कराने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा.
बताते चलें कि लाइन के दोहरीकरण के लिए बोकारो स्टील ने ही जमीन रेलवे को स्थानांतरित की है. इधर ग्रामीणों का कहना है कि मुआवजे की पूरी रकम उन्हें अब तक नहीं दी गई है और ना ही नियोजन और पुनर्वास की पहल बोकारो स्टील प्रबंधन की ओर से की गई है, इसलिए रेलवे परियोजना को आगे नहीं बढ़ने देंगे.
173 दिन से धरना: धनगढ़ी के ग्रामीण 173 दिन से अतिक्रमण वाले स्थान पर धरना दे रहे थे. ग्रामीणों का कहना है कि बीएसएल में जमीन ली थी लेकिन ना नियोजन दिया है ना ही पुनर्वास की व्यवस्था की गई है, यह जमीन उनकी है. इसलिए उसका विरोध कर रहे हैं. गांव के लोग मुआवजे की मांग कर रहे थे. इनका कहना है कि पुलिस प्रशासन और रेलवे जबरन उनकी जमीन पर काम कर रहे हैं.