पटना:सनातन धर्म में एकादशी तिथि को बड़ा महत्व दिया गया है. ऐसी मान्यता है कि इस पावन तिथि पर विधि विधान के साथ व्रत करने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. वैसे तो हर एकादशी अपने आप में महत्वपूर्ण है, लेकिन विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2022) अपने नाम के अनुसार विजय दिलाने वाली मानी जाती है. इस एकादशी का व्रत करने से भयंकर से भयंकर विपत्तियों से छुटकारा मिलता है और शक्तिशाली शत्रुओं की पराजय होती है. इस व्रत के कुछ खास नियम हैं, जो एकादशी तिथि से 1 दिन पहले शुरू हो जाते हैं.
सभी व्रतों में सबसे प्राचीन व्रत: एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सबसे प्राचीन माना गया है. पद्मपुराण के अनुसार स्वयं महादेव ने नारद जी को बताया था कि एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है. ऐसा कहा जाता है कि जो मनुष्य विजया एकादशी का व्रत रखता है, उसके पितरों को मुक्ति मिलती है और वह स्वर्ग लोक को जाते हैं. इस बार विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी 2022 दिन रविवार को रखा जाएगा.
विजया एकादशी व्रत और पूजा विधि:एकादशी से 1 दिन पहले सप्त धान्य से एक बेदी बनाएं. फिर उसपर सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें. एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें और पंच पल्लव कलश पर रखकर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें. इसके बाद धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से भगवान श्रीहरि की पूजा कर व्रत कथा का पाठ करें. रात्रि में श्रीहरि के नाम का भी भजन कीर्तन करते हुए जगराता करें. इसके बाद द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन आदि कराकर कलश को दान कर दें. तत्पश्चात व्रत का पारण करें.