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1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध: बांग्लादेश की आजादी की गाथा, जानें कैसे 14 दिन में मानेकशॉ की प्लानिंग के आगे 93000 पाक फौजियों ने टेके घुटने

16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान के साथ लड़ाई जीत कर बंग्लादेश की आजादी सुनिश्चित की थी. 2023 में इस एतिहासिक घटना के 52 साल पूरे हो गये. तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ जनरल सैम मानेकशॉ की लीडरशिप का कमाल ऐसा रहा की दो सप्ताह से कम समय में युद्ध समाप्त हो गया. भारत की जीत हुई और बांग्लादेश अस्तित्व में आ गया. Indira Gandhi, 1971 Indo Pak War, Rameshwar Nath Kao, RAW, Bangladesh Liberation Day, Bangladesh Liberation Day 2023, Vijay Diwas.

1971 Indo Pak War
1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 16, 2023, 12:32 PM IST

Updated : Dec 16, 2023, 2:50 PM IST

हैदराबाद :भारत से बंटवारे के बाद पाकिस्तान उन भौगोलिक रूप से दो हिस्सों में बंटा हुआ था. पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान. पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान में बांग्लादेश), जिसमें 56 फीसदी बांग्ला भाषी रहते थे. वहीं पाकिस्तान सरकार ने उर्दू को राजकीय भाषा घोषित की थी. जिसके बाद से पूर्वी पाकिस्तान में विरोध की एक लहर उठ खड़ी हुई थी. अपने गठन के बाद से पाकिस्तानी आवाम भाषा, प्रांत, राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक मुद्दों पर देश बंटा हुआ था.

बांग्लादेश में उठ रहे विरोध के स्वर को दबाने के लिए पाकिस्तान की सेना अपने ही नागरिकों पर बरर्बता करने लगी. पाक फौजियों ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के विरोध को दबाने के लिए उनके साथ लूट-खसोट करना शुरू कर दिया. जिससे परेशान होकर पूर्वी पाकिस्तान के नागरिक भारत की ओर पलायन करने लगे. एक समय ऐसा आया जब भारत के ऊपर शर्णार्थियों का बोझ काफी बढ़ गया. यह भारत सरकार के लिए गंभीर चिंता का कारण बन गया. जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वह फैसला लिया जिसके लिये उन्हें संसद में 'दुर्गा' कह कर पुकारा गया.

इंदिरा गांधी ने तय किया कि वह बांग्लादेश के मुक्तिसंग्राम में भारतीय सैनिक सक्रिय रूप से भाग लेंगे. जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. पाकिस्तानी सेना ने 16 दिसंबर 1971 को युद्ध में करारी हार को स्वीकार करते हुए भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पन कर दिया. इसी के साथ तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बेतरीन कुटनीतिक का परिचय दिया, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान की स्थापना के 25 साल के भीतर एक और बंटवारा हो गया. इसी के साथ पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में नया राष्ट्र बन गया. ये अलग बात है कि भारत सरकार ने युद्ध समाप्ति के 10 दिन पहले ही 6 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी थी.

इंदिरा गांधी के लीडरशिप में भारत ने लहराया था परचम
16 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की बरसी के बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का दिवस है. 2023 में इस वाक्या का 52 साल पूरे हो रहे हैं. तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ जनरल सैम मानेकशॉ के लीडरशिप का कमाल ऐसा रहा की दो सप्ताह से कम समय में युद्ध समाप्त हो गया. भारत की जीत हुई और बांग्लादेश अस्तित्व में आ गया.

14 दिनों में पाकिस्तानी सेना टूट गई
यह संघर्ष पूर्वी पाकिस्तान के प्रति पश्चिमी पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों का परिणाम था. अकल्पनीय मानवीय पीड़ा के कारण 10 मिलियन से अधिक शरणार्थियों पलायन कर भारत पहुंचे थे. भारत ने सैन्य कार्रवाई का सहारा तभी लिया जब अन्य सभी विकल्प खत्म हो गए थे. 03 दिसंबर 1971 को भारतीय हवाई अड्डों पर पाकिस्तान द्वारा हवाई हमले के बाद पूर्ण पैमाने पर युद्ध छिड़ गया.

भारतीय सशस्त्र बलों की बेहतरीन रणनीति का परिणाम रहा की 14 दिनों में पाकिस्तानी सेना टूट गई. भारतीय सशस्त्र बलों ने महज 2 सप्ताह में पाकिस्तान को उसके पैरों तले खड़ा कर दिया. भारतीय सेना ने भारतीय वायु सेना के सहयोग से एक ब्लिट्जक्रेग ऑपरेशन में ढाका पर कब्जा कर लिया और नौसेना ने भी सराहनीय भूमिका निभाते हुए भारत को एक यादगार जीत दिलाई और दो राष्ट्र सिद्धांत को नष्ट कर दिया.

93 हजार सैनिकों भारत के सामने किया था आत्मसमर्पण
16 दिसंबर 1971 पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी ने भारतीय सेना के वरीय अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोरा के साथ आत्मसमर्पण दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर अपनी हार को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लिया. इसी के साथ बांग्लादेश अस्तित्व में आ गया.

पाकिस्तानी सेना ने 93 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया. इसी के साथ पाक ने अपनी आधी नौसेना और वायु सेना का एक चौथाई हिस्सा खो दिया. युद्ध के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में पहले कभी सैनिकों ने आत्मसमर्पण नहीं किये थे.

भारतीय सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर 15000 वर्ग किमी पाक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया. इसी के साथ पाकिस्तान में याह्या खान प्रशासन का पतन और राष्ट्रपति के रूप में जेडए भुट्टो के शपथ ग्रहण किया.

1971 के युद्ध में 2908 सैनिक हुए थे शहीद
1971 के युद्ध के दौरान 2908 सैनिक शहीद हुए और 1200 से अधिक घायल हुए. युद्ध के दौरान भारतीय सेना के लगभग 600 अधिकारियों और जवानों को वीरता पुरस्कार से अलंकृत किया किया गया. इनमें से 4 को परमवीर चक्र, 76 को महावीर चक्र और 513 को वीर चक्र से नवाजा गया. इस युद्ध में लांस नायक अल्बर्ट एक्का, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, मेजर होशियार सिंह सहित बड़ी संख्या में अधिकारियों व भारतीय सुरक्षबलों ने अपना सर्वोच्च दिया.

1971 के युद्ध में इनकी रही प्रमुख भूमिका

इंदिरा गांधी : तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 1971 के भारत-युद्ध में उनकी भूमिका के लिए सबसे अधिक याद किया जाता है. पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण रही.

शॉ मानेकशॉ : 1971 युद्ध के सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के प्रमुख थे. बेहतरीन रणनीति और युद्ध कौशल के कारण इन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को महज 2 सप्ताह में आत्मसमर्पण करवा दिया. फील्ड मार्शल के पद से सम्मानित होने वाले वे स्वतंत्र भारत के पहले सेना अधिकारी थे.

आर.एन. काओ:रामेश्वर नाथ काओ भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख थे. इनकी टीम को 'काओ-बॉयज' कहा जाता था. 1971 के युद्ध में उनकी भूमिका के लिए 'बांग्लादेश के वास्तुकार' के नाम से जाने जाते हैं. बताया जाता है कि मुक्ति वाहिनी की मदद करने और पश्चिम पाकिस्तान पर विजय पाने के लिए बांग्लादेश के इलाके में एक लाख से ज्यादा युवाओं को सैनिक प्रशिक्षण दिया.

मुजिभी रहमान :- बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान ईस्ट पाकिस्तान मुस्लिम स्टूडेंट्स लीग के संस्थापक संयुक्त सचिवों में से एक थे. बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन और 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के पीछे लीड रोल अदा कर रहे थे.

याह्या खान :याह्या 1969 से 1971 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे. याह्या की कार्रवाई के कारण पाकिस्तान के भीतर गृह युद्ध छिड़ गया. इनकी गलती के कारण अंततः 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ. परिणामस्वरुप बांग्लादेश की एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में स्थापना हुई. इस भयानक पराजय के लिए अततः याह्या खान को अपना पद छोड़ना पड़ा.

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Last Updated : Dec 16, 2023, 2:50 PM IST

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