नई दिल्ली:वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय की अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की. इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने गौरी को मद्रास उच्च न्यायालय की न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. मद्रास हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा ने राष्ट्रपति द्वारा जारी नियुक्ति आदेश पढ़ने सहित अन्य परंपराओं के बाद गौरी को अतिरिक्त न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई.
मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने की. पहले इसकी सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच द्वारा सुबह 9:15 बजे होने की उम्मीद थी, लेकिन बाद में यह सूचित किया गया कि इसे न्यायमूर्ति खन्ना के नेतृत्व वाली बेंच द्वारा सुना जाएगा. वे अदालत के निर्धारित समय से 5 मिनट पहले इकट्ठे हुए और जे गौरी की शपथ तब ली गई जब सुनवाई चल रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार की पात्रता और उपयुक्त होने के बीच अंतर होता है. कोर्ट को उपयुक्तता में नहीं पड़ना चाहिए. नहीं तो पूरी प्रक्रिया गड़बड़ हो जाएगी. याचिकाकर्ताओं की तरफ से सीनियर वकील राजू रामचंद्रन ने तर्क दिया कि कॉलेजियम का निर्णय प्रभावित हुआ. राजू रामचंद्रन ने कहा कि शपथ लेने वाले जज की संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा होनी चाहिए. उन्होंने गौरी को इस पद के अयोग्य ठहराया.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को गौरी के इस्लाम और ईसाई धर्म के खिलाफ दिए गए नफरत भरे भाषणों और उनके द्वारा किए गए ट्वीट्स के बारे में बताया. हालांकि, अदालत ने यह मानने से इनकार कर दिया कि ऐसी कोई भी जानकारी कॉलेजियम से छूट नहीं सकती. इस पर अधिवक्ता रामचंद्रन ने कहा था कि सीजेआई चंद्रचूड़ ने खुद कहा था कि कॉलेजियम के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं लेकिन अब जरूर है.
याचिकाकर्ता वकीलों ने अन्ना मैथ्यू, सुधा रामलिंगम और डी नागसैला ने अपनी याचिका में गौरी द्वारा मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ की गई कथित घृणास्पद टिप्पणियों का उल्लेख किया. याचिका में कहा गया था कि 'याचिकाकर्ता न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए ‘गंभीर खतरे’ को देखते हुए चौथे प्रतिवादी (गौरी) को उच्च न्यायालय की न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से रोकने के वास्ते उचित अंतरिम आदेश जारी करने की मांग कर रहे है.'