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पूर्वोत्तर में विकास के नए युग की शुरुआत हो रही है : नायडू - पूर्वोत्तर में विकास के नए युग

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि पूर्वोत्तर में दिख रहे बदलाव से स्पष्ट तौर पर पता चलता है दशकों तक उपेक्षा का शिकार रहा यह क्षेत्र अब विकास के पथ पर अग्रसर है. अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि 'एनईआर' (पूर्वोत्तर क्षेत्र) का अर्थ 'न्यू एरा ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन' (बदलाव का नया युग) है.

नायडू
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Published : Oct 9, 2021, 7:43 PM IST

ईटानगर : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि पूर्वोत्तर में दिख रहे बदलाव से स्पष्ट तौर पर पता चलता है दशकों तक उपेक्षा का शिकार रहा यह क्षेत्र अब विकास के पथ पर अग्रसर है. अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि 'एनईआर' (पूर्वोत्तर क्षेत्र) का अर्थ 'न्यू एरा ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन' (बदलाव का नया युग) है. उन्होंने कहा कि विकास को एक नई दिशा और गति मिलने की शुरुआत हो चुकी है.

उन्होंने कहा, 'संसद के अधिनियम द्वारा 1971 में स्थापित पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) अपने पूर्ववर्ती से इस मायने में अलग थी क्योंकि इसने विकास के समन्वित कार्यों और नीतियों को गति दी. इससे उल्लेखनीय लाभ मिला लेकिन वह इस क्षेत्र और इसके लोगों की क्षमता को पूरी तरह पहचान देने के लिए पर्याप्त नहीं था.

नायडू ने कहा कि 1990 में दशक में 'लुक ईस्ट' नीति की घोषणा से पड़ोसी देशों के सहयोग से क्षेत्र के एकीकृत आर्थिक विकास की राह तय हुई. उन्होंने कहा कि शताब्दी की शुरुआत में इस नीति को और बल मिला जब जमीन पर काम होना प्रारंभ हुआ और 'एक्ट ईस्ट' नीति को शुरुआत की गई.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में एक्ट ईस्ट नीति की घोषणा की थी तब यह रेखांकित किया गया था कि पूर्वोत्तर इसका धुरी होगा जिसके तहत क्षेत्र साझा लाभ के लिए प्रगति का वाहक बनेगा. नायडू ने कहा कि केंद्र सरकार क्षेत्र में हिंसा समाप्त करने और लंबे समय से चली आ रही समस्याओं के समाधान के लिए गंभीर प्रयास कर रही है.

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उन्होंने कहा, 'इसके फलस्वरूप, क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. 2013 की अपेक्षा 2019 में उग्रवाद से संबंधित घटनाएं 70 प्रतिशत तक कम हुई, असैन्य नागरिकों की मौत 80 प्रतिशत कम हुई और सुरक्षा कर्मियों की मौत में 78 प्रतिशत तक कमी आई. हाल में हुए कारबी आंगलोंग और बोडो समझौते पर हस्ताक्षर होने से क्षेत्र में शांति कायम करने के हमारे सामूहिक प्रयास का स्पष्ट तौर पर पता चलता है.

उन्होंने कहा कि अतीत में उचित ढांचागत सुविधाएं नहीं होने और उग्रवाद के उभार की समस्याओं के कारण क्षेत्र में निजी निवेश का प्रवाह नहीं हुआ जिससे विकास बाधित हुआ.

उन्होंने कहा कि अपर्याप्त और असमान विकास के चलते लोगों के बीच दूरियां बढ़ीं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां स्थानीय विविधता है.

(पीटीआई भाषा)

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