नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार के सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि नफरत, कट्टरता और असहिष्णुता देश को अपनी चपेट में ले रही है, अगर इन्हें रोका नहीं गया तो यह समाज को नुकसान पहुंचाएगा. सोनिया गांधी के इस लेख के सामने आने के बाद राजनीतिक पलटवार का सिलसिला शुरू हो गया है. सोनिया गांधी ने अपनी लेख में सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में असहिष्णुता के मामले बढ़ते जा रहे हैं और इसके लिए सरकार दोषी है इसका जवाब देते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता और भारत के श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सरकार कानून के तहत काम करती है. विपक्ष का यह बयान गैर जिम्मेदारी भरा है.
लेख में सोनिया गांधी ने लिखा कि नफरत और विभाजन का वायरस है जो अविश्वास को बढ़ाता है और देश में स्वस्थ बहस को दबाता है ये एक देश और समाज के रूप में हमें नुकसान पहुंचा रहा है. इस दौरान उन्होंने सवाल भी किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे लोगों को हिदायत क्यों नहीं देते जो ऐसी बातें करते हैं जिससे समाज में विभाजन होता है? उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या भारत को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में होना चाहिए? इस लेख के जवाब में विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा कि रामनवमी के जुलूस पर पत्थर फेंके जा रहे हैं.
देश में केरल और जेएनयू जैसी घटनाएं हो रही हैं. वह निंदनीय ही नहीं अशोभनीय है. ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ जब सरकार कार्रवाई करती है तो विपक्ष और सोनिया गांधी जैसी नेता सरकार पर दमनकारी नीति का आरोप लगाने लगते हैं. असहिष्णुता की बात करने लगते हैं. 'नफरत, कट्टरता और असहिष्णुता' के सवाल पर वीएचपी नेता ने आमिर खान का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार आमिर खान को भी इस देश में डर लगा था लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ? आमिर खान ने अपनी हिंदू पत्नी को तलाक देकर एक और शादी कर ली.