नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले आरक्षण को सही ठहराया है. पांच जजों की बेंच ने तीन-दो के बहुमत से यह फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट ने इस आरक्षण को सही नहीं ठहराया, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने इसे सही ठहराया है. किस जज ने अपने-अपने फैसले में क्या कहा, एक नजर.
जस्टिस जेबी पारदीवाला- वैसे तो रिजर्वेशन मूलतः शुरुआती 10 सालों के लिए ही था. डॉ आंबेडकर की मूल सोच ऐसी ही थी. इसके बावजूद रिजर्वेशन आज तक जारी है. इस लिहाज से देखा जाए तो रिजर्वेशन को किसी निहित स्वार्थ सिद्धि के लिए नहीं होना चाहिए. मुझे लगता है कि रिजर्वेशन का पालन करना सामाजिक न्याय को सुरक्षित रखना ही है. इसलिए मैं 103 वें संशोधन को पूरी तरह से सही ठहराता हूं.
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी- रिजर्वेशन वंचित वर्ग को दिया जाता है, फिर चाहे वह आर्थिक रूप से पिछडे हुए हों, या फिर सामाजिक रूप से. लिहाजा, ईडब्लूएस के तहत दिया गया रिजर्वेशन संविधान के मूल ढांचे को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता है. यह किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करता है. उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण कोटे की 50 प्रतिशत की सीमा सहित संविधान की किसी भी आवश्यक विशेषता को क्षति नहीं पहुंचाता, क्योंकि कोटे की सीमा पहले से ही लचीली है.