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'जनता को आश्वस्त करने की जरूरत है, संसद उनके साथ खड़ी है' - Parliament stands with them

सभापति नायडू ने कहा कि लोग अनिश्चितता के माहौल में जी रहे हैं. इस अनिश्चितता के बीच संसद को देश की जनता को आश्वस्त करने की आवश्यकता है कि संसद उसके साथ खड़ी है. उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि पहली और दूसरी लहर के अनुभवों से सीख लेते हुए तीसरी लहर की चुनौतियों का सामना किया जाए.

सभापति एम वेंकैया नायडू
सभापति एम वेंकैया नायडू

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Published : Jul 19, 2021, 8:26 PM IST

नई दिल्ली :राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को कोविड-19 के कारण बनी अनिश्चितता की स्थिति की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि संसद को देश की जनता को आश्वस्त करने की जरूरत है कि वह उसके साथ खड़ी हुई है. वेंकैया नायडू उच्च सदन में मानसून सत्र प्रारंभ होने के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि कोरोना को लेकर देश की वर्तमान स्थिति और लोगों को हुई परेशानियों के मद्देनजर मानसून सत्र का महत्व बढ़ गया है कि क्योंकि अब तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि आपदा और संकट की इस घड़ी में संसद देश की जनता को उसके हाल पर नहीं छोड़ सकती. मैं सदन के सभी वर्गों से अपील करता हूं कि आज से आरंभ हो रहे मानसून सत्र को सार्थक बनाना सुनिश्चित करें.

उन्होंने कहा, संसद ओर इसके सदस्यों की विश्वनीयता दांव पर है. हमें अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है. सभापति ने कहा कि पिछल साल-डेढ़ साल से देश ओर दुनिया के लोग कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुए संकट का सामना कर रही हैं. इस महामारी ने ना सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य पर बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर डाला है.

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सभापति ने कहा कि लोग अनिश्चितता के माहौल में जी रहे हैं. इस अनिश्चितता के बीच संसद को देश की जनता को आश्वस्त करने की आवश्यकता है कि वह उसके साथ खड़ी है. उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि पहली और दूसरी लहर के अनुभवों से सीख लेते हुए तीसरी लहर की चुनौतियों का सामना किया जाए.

सभापति ने कहा कि सरकार और सदन के सभी वर्गों को रचनात्मक तरीके से इस समस्या से जुड़े सभी पहलुओं पर पूरी तैयारी के साथ चर्चा करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि सदन के सभी सदस्यों को इस सत्र से मिलने वाले मौके का बेहतर इस्मतेमाल करना है. नायडू ने कहा, कुल मिलाकर हम सभी को सामूहिक रूप से इस अदृश्य कोरोना वायरस से पैदा हुई चुनौतियों का सामना करना है. इस महामारी ने आधुनिकता की सीमाओं और हमारे जीने के तौर तरीकों पर भी सवाल उठाए हैं.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले साल बजट सत्र के बाद से तीन सत्रों को छोटा करना पड़ा और शीतकालीन सत्र नहीं हो सका. उन्होंने उम्मीद जताई कि मानूसन सत्र अपनी निर्धारित समयावधि तक चलेगा.

कोरोना की दूसरी लहर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश को इस दौरान भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा और सरकारों व अन्य संबंधित पक्षों को स्वास्थ्य ढांचे की खामियों के निदान के लिए ओवरटाइम काम करना पड़ा. उन्होंने कहा, अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद अच्छी खासी संख्या में लोगों को बेशकीमती जान गंवानी पड़ी.

(पीटीआई भाषा)

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