नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को संसद में सोमवार को फेयरवेल दिया गया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पक्ष व विपक्ष के सभी नेता मौजूद रहे. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सदन के लिए ये बहुत भावुक पल है. सदन के कितने ही ऐतिहासिक पल आपकी गरिमामयी उपस्थिति से जुड़े हैं. आपका जज्बा और लगन हम लोगों ने निरंतर देखी है. उन्होंने कहा, "मैं प्रत्येक माननीय सांसद और देश के हर युवा से कहना चाहूंगा कि वो समाज, देश और लोकतंत्र के बारे में आपसे बहुत कुछ सीख सकते हैं.' पीएम मोदी ने उनकी वाकपटुता और चुटीले अंदाज की तारीफ की.
इसके बाद टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने वैंकेया को उनकी पुरानी यादें याद दिलायी और यह सुनकर वह भावुक हो उठे. सत्र के बीच में ही उन्हें अपने आंसू पोंछते हुए देखा गया. टीएमसी सांसद ने कहा कि कैसे उन्होंने सिर्फ एक साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया और इससे नायडू भावुक हो गए. ब्रायन ने कहा कि आपकी मां आपको गोद में लेकर जा रहीं थीं, तभी एक बैल ने आपकी मां पर हमला कर दिया था. उस हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह नहीं बच सकीं. इस घटना का जिक्र होते ही, वेंकेैया नायडू की आंखों में आंसू आ गए. ब्रायन ने नायडू और उनकी पत्नी की मेजबानी की भी तारीफ की और कहा कि जब भी वह उनके पास गए, हर बार उन्हें लजीज व्यंजन परोसा गया. उन्होंने उम्मीद जतायी कि यहां से अवकाश ग्रहण करने के बाद भी नायडू सार्वजनिक जीवन में बने रहेंगे और लोगों को रास्ता दिखाते रहेंगे.
पीएम मोदीने कहा कि वैंकेया नायडू ने हमेशा युवाओं के लिए काम किया और सदन में युवा सदस्यों को मौका दिया. उन्होंने कहा. "सदन के बाहर उपाध्यक्ष के रूप में, आपने अपना 25 प्रतिशत से अधिक समय युवाओं के साथ बिताया. एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में, पार्टी अध्यक्ष या केंद्रीय मंत्री के रूप में आपके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा." उन्होंने कहा, "आपके वन-लाइनर्स, विट-लाइनर्स हैं. वे विन-लाइनर्स भी हैं. इसका मतलब है कि उन पंक्तियों के बाद और कुछ कहने की जरूरत नहीं है. आपका हर शब्द सुना, पसंद किया जाता है और सम्मानित किया जाता है और उनका कभी भी काउंटर नहीं किया जाता है."
पीएम मोदी ने कहा, "व्यक्तिगत रूप से, यह मेरा सौभाग्य रहा कि मैंने आपको विभिन्न भूमिकाओं में करीब से देखा है. मुझे भी उन भूमिकाओं में आपके साथ काम करने का सौभाग्य मिला है. एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में आपकी वैचारिक प्रतिबद्धता हो, एक विधायक के रूप में आपका काम, आपका एक सांसद के रूप में सदन में गतिविधि...पार्टी प्रमुख के रूप में आपका नेतृत्व, कैबिनेट में आपकी कड़ी मेहनत, या वीपी और आरएस अध्यक्ष के रूप में आपकी जिम्मेदारी- मैंने आपको अपनी सभी भूमिकाओं में निष्ठापूर्वक काम करते देखा है. आपने कभी किसी भी काम को बोझ नहीं समझा है. आपने हर काम में एक नई जान फूंकने की कोशिश की."
बीजू जनता दल (बीजद) के सस्मित पात्रा ने अपने निजी अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि नायडू ने उन्हें न सिर्फ ओड़िया भाषा में बोलने के लिए प्रोत्साहित किया बल्कि उन्हें अच्छा भाषण देने को लेकर बधाई भी दी. पात्रा ने कहा कि नायडू ने हमेशा नए व युवा सांसदों को आगे बढ़ाया और उन्हें बोलने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि सदन में कम दिनों का अनुभव होने के बाद भी उन्हें पीठासीन उपाध्यक्ष के पैनल में शामिल किया गया. पात्रा ने कहा कि जब उन्होंने नायडू से इस बारे में बात की तो सभापति ने उनसे कहा था कि उन्हें उन (पात्रा) पर पूरा भरोसा है. उन्होंने कहा कि सदन में जब कभी ओडिशा से जुडे मुद्दे उठाने की बात आई तो नायडू ने हमेशा सहयोग किया.
वाईएसआर कांग्रेस सदस्य वी विजय साई रेड्डी ने कहा कि नायडू को लेकर नौ करोड़ तेलुगु भाषी लोग गौरवान्वित हैं. उन्होंने अपने अनुभवों को याद करते हुए कहा कि जब वह सदन के नए सदस्य थे तो वह सबसे पीछे की पंक्ति में बैठते थे. इसके बाद नायडू ने न सिर्फ उन्हें बल्कि अन्य नए सदस्यों को भी बोलने का मौका दिया तथा प्रोत्साहित भी किया. वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अहमद अशफाक करीम ने कहा कि नायडू ने सदन के सभी सदस्यों का ख्याल रखा और उन्हें बढ़ावा दिया. उन्होंने कहा कि सभापति ने सदस्यों को अच्छे माहौल में अपनी बात रखने का मौका दिया.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) के जॉन ब्रिटास ने कहा कि नायडू और उनकी विचारधारा भले ही अलग रही हो लेकिन नायडू ने हमेशा संसद में वाम दलों की मजबूत उपस्थिति पर जोर दिया. उन्होंने नायडू को इस देश की विविधता का उदाहरण बताते हुए कहा कि नायडू ने छोटे राजनीतिक दलों को भी पर्याप्त अवसर दिए जाने पर जोर दिया. ब्रिटास ने कहा कि नायडू सदन की कार्यवाही से काफी करीब से जुड़े रहे और देश के संसदीय लोकतंत्र को नायडू की जरूरत है.
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सदस्य टी शिवा ने नायडू द्वारा बतौर सभापति सदन में किए गए बदलाव का जिक्र किया और कहा कि उनके प्रयासों से ही आज सदन में सदस्य देश की 22 भाषाओं में अपनी बात रख सकते हैं. उन्होंने कहा कि सदस्य या मंत्री जब कोई दस्तावेज सदन के पटल पर रखते थे उन्हें ब्रिटिशकालीन परंपराओं का पालन करना पड़ता था लेकिन नायडू ने उन आपत्तिजनक संबोधनों को भी हटाया और सदन में एक नयी व अच्छी परंपरा की शुरुआत की. शिवा ने भी नायडू से अपनी आत्मकथा लिखने का अनुरोध किया और कहा कि सदस्यों को उनकी कमी खलेगी.
आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने कहा कि उन्हें नायडू का काफी स्नेह और मार्गदर्शन मिला. उन्होंने नायडू से कहा कि पिछले साढ़े चार साल के दौरान अगर उनसे कोई भूल हुई हो तो वह (नायडू) उन्हें माफ कर दें. उन्होंने कहा कि उनके व्यवहार में कुछ भी व्यक्तिगत नहीं था और वह देश एवं लोगों से जुड़े किसी मुद्दे से जुड़ा था. सिंह ने कहा कि नायडू ने विविधता में एकता, भारत की विशेषता को चरितार्थ करते हुए सभी भाषाओं को बढ़ावा देने की कोशिश की और सदस्यों को अपनी मातृभाषा में बोलने की सुविधा मुहैया कराई. सिंह ने भी नायडू के आतिथ्य भाव की सराहना की.
उपसभापति हरिवंशने कहा कि संघर्ष के लिए नायडू ने लीक से हट कर रास्ता चुना और लीक से हट कर चलने वाले ही सफलता के आयाम रचते हैं. उन्होंने कहा कि नायडू का संघर्ष आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा. उन्होंने सभापति को 'मैन ऑफ आयडियाज़'बताते हुए कहा 'नायडू के साथ काम की शुरूआत में ही समझ में आ गया कि हमें पूरा होमवर्क करके आना होगा.' संस्कृति, भाषा और परंपरा से नायडू के लगाव का जिक्र करते हुए हरिवंश ने कहा 'पश्चिम की आंधी इसके आगे कहीं नहीं टिकती.' उन्होंने कहा कि नायडू के सहयोग तथा मार्गदर्शन के बिना उनके लिए सदन का संचालन कर पाना मुश्किल होता. उन्होंने बताया कि गांधीवाद को नायडू ने अपने जीवन में आत्मसात किया है और वे समय के पाबंद हैं.
सदन के नेता पीयूष गोयलने नायडू के कार्यकाल को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि सदन में उनकी कमी हमेशा खलेगी. उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा बढ़ाने के लिए नायडू का कार्यकाल हमेशा याद किया जाएगा. गोयल ने कहा कि उन्हें निजी तौर पर भी नायडू से बहुत कुछ सीखने को मिला. उन्होंने बताया कि नायडू के जीवन के तीन पहलुओं ने सभी को प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि घूमने के शौकीन नायडू लगभग पूरे देश का दौरा कर चुके हैं तथा हर जगह पर वह हर विषय पर गहरा मंथन करते हैं. मातृभाषाओं के प्रति उनका लगाव सर्वविदित है. वह लोगों को बहुत ही अच्छी तरह प्रशिक्षित करते हैं.