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'निर्भया कोष' के तहत खरीदे गए वाहनों को शिंदे गुट के सांसदों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा इस्तेमाल

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार में निर्भया कोष से इस साल की शुरुआत में मुंबई पुलिस द्वारा खरीदे गए वाहनों का इस्तेमाल विधायकों की वाई प्लस सुरक्षा के लिए किया जा रहा है. इसे लेकर सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं.

nirbhaya fund vehicles
निर्भया कोष के वाहन

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Published : Dec 11, 2022, 10:04 PM IST

मुंबई: महिलाओं के खिलाफ अपराध से लड़ने के लिए 'निर्भया कोष' (निर्भया फंड) के तहत इस साल की शुरुआत में मुंबई पुलिस द्वारा खरीदे गए कुछ वाहनों का उपयोग वर्तमान में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के विधायकों और सांसदों को 'वाई-प्लस' सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है. पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी रविवार को दी है. इस साल शहर पुलिस ने जून में 'निर्भया कोष' के तहत प्राप्त 30 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से 220 बोलेरो, 35 एर्टिगा, 313 पल्सर बाइक और 200 एक्टिवा खरीदे थे.

विपक्षी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला करते हुए पूछा कि क्या सत्तारूढ़ विधायकों की सुरक्षा महिलाओं की सुरक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है. महिला सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं को लागू करने के लिए केंद्र द्वारा 2013 से राज्य सरकारों को 'निर्भया कोष' के जरिए धन दिया जा रहा है. अधिकारी ने कहा, 'जून में वाहनों की खरीद के बाद, उन्हें जुलाई में सभी 97 पुलिस थानों, साइबर, यातायात और तटीय पुलिस इकाइयों को वितरित कर दिया गया.'

उन्होंने कहा, 'इन वाहनों में से 47 बोलेरो मुंबई पुलिस के मोटर परिवहन विभाग द्वारा राज्य पुलिस के वीआईपी सुरक्षा अनुभाग के एक आदेश के बाद कई पुलिस थानों से मांगे गए थे, जिसमें कहा गया था कि शिंदे गुट के सांसदों और विधायकों की 'वाई-प्लस' सुरक्षा मुहैया कराने के लिए इन वाहनों की आवश्यकता है.'

साथ ही उन्होंने कहा कि हालांकि, इन सांसदों की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किए गए वाहनों में से 17 वाहनों को आवश्यकता पूरी होने के बाद पुलिस थानों में वापस कर दिया गया. अधिकारी ने कहा, 'लेकिन 30 बोलेरो अभी तक वापस नहीं आई हैं, जिससे संबंधित थानों के अधिकार क्षेत्र में पुलिस गश्त प्रभावित हुई है.' कांग्रेस और राकांपा ने सत्तारूढ़ दल के सांसदों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए वाहनों को इस्तेमाल करने के लिए शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की.

कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने पूछा, 'क्या सत्तारूढ़ विधायकों की सुरक्षा महिलाओं को दुर्व्यवहार से बचाने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है?' उन्होंने कहा कि निर्भया कोष का इस्तेमाल विधायकों की सुरक्षा के लिए किया जाना भयावह और अपमानजनक है. राकांपा प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा, 'निर्भया कोष से खरीदी गई एसयूवी को शिंदे विधायकों को वाई-प्लस सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया गया. शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा सत्ता का शर्मनाक दुरुपयोग. एकनाथ शिंदे के विधायकों को शर्म से मर जाना चाहिए.'

राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा निर्भया कोष की स्थापना की गई थी. उन्होंने कहा, 'यह चौंकाने वाली बात है कि महिलाओं की सुरक्षा के अपने कर्तव्यों को पूरा करने में पुलिस की मदद के लिए खरीदे गए वाहनों का दुरुपयोग विधायकों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है. एक तरफ मुख्यमंत्री जनता का समर्थन करने का दावा करते हैं तो दूसरी तरफ पाला बदलने वाले विधायकों और सांसदों को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है, जिसमें 5 पुलिसकर्मी शामिल हैं.'

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उन्होंने पूछा, 'अगर लोग आपके साथ हैं, तो आपको क्या डर है?' पाटिल ने मांग की कि वाहनों को संबंधित थानों में वापस भेजा जाए. साथ ही कहा कि महिलाओं की सुरक्षा दल बदलू विधायकों की सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसके अलावा शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने आरोप लगाया है कि राज्य में सत्ताधारी पार्टी निर्भया दस्ते के फंड और उसमें इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों का इस्तेमाल अपने मजे में कर रही है. उन्होंने यह आरोप शिवसेना भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लगाया.

प्रियंका चतुर्वेदी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इशारा किया है कि सरकार को आम नागरिकों की कोई परवाह नहीं है. राज्य में महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है. महिलाओं के मामले में गंभीर अपराध देखने को मिलते हैं. लेकिन जब राज्य में ऐसी स्थिति हो तो कभी-कभी राज्य के मंत्री और विधायक दूसरे राज्यों में प्रचार करने जा रहे हैं. कभी गुवाहाटी जाते हैं, कभी दिल्ली जाते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए आज पूरा मंत्रिमंडल नागपुर में है. राज्य सरकार कार्यक्रमों में व्यस्त है. उन्होंने यह भी कहा कि इस राज्य सरकार के पास महिलाओं के मुद्दों को देखने का समय नहीं है.

(इनपुट- पीटीआई-भाषा)

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