हैदराबाद :गुरु गोबिंद सिंह, सिखों के दसवें गुरु और खालसा पंथ के संस्थापक थे. वीर बाल दिवस, गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों - जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत को मनाने और सम्मान देने का दिन है. या कहें तो समाज की खातिर अपने प्राणों की आहुति देने वाले युवा शहीदों को श्रद्धांजलि देने का दिन है. 9 जनवरी 2022 को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर, पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को सिख गुरु के पुत्रों की शहादत (Chhote Sahibzade) को चिह्नित करने के लिए 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाया जाएगा. 2022 में पहली बार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया गया था.
वीर बाल दिवस, जानें गुरु गोबिंद साहिब के चार साहिबजादों के साहस की कहानी - Veer Bal Diwas
Veer Bal Diwas 2023: पिछले साल भारत सरकार की ओर से 17वीं शताब्दी में शहीद हुए गुरु गोबिंद साहिब के चार साहिबजादों के साहस को श्रद्धांजलि देने के लिए वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय गया था. इस साल दूसरी बार इस दिवस का आयोजन किया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर..
सिख गुरु के पुत्रों की शहादत
Published : Dec 25, 2023, 11:30 PM IST
|Updated : Dec 26, 2023, 11:54 AM IST
वीर बाल दिवस के तथ्य
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सिख धर्म के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों को साहिबजादे कहा जाता है.
- जोरावर सिंह और फतेह सिंह गुरु गोबिंद सिंह के चार पुत्रों में सबसे छोटे थे. उन्हें सिख धर्म में सबसे पवित्र शहीद माना जाता है.
- बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह को बड़े साहिबजादे और बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को छोटे साहिबजादे कहा जाता है.
- बहुत कम उम्र में, उन्होंने अपनी मां को खो दिया था. मां के निधन के बाद दादी ने उनका पालन-पोषण किया था.
- गुरु गोबिंद सिंह का परिवार आनंदपुर में रहते थे, जहां उन्होंने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की.
- गुरु गोबिंद सिंह और उनके परिवार ने आनंदपुर साहिब का किला जब छोड़ा, तो सरसा नदी (जिसे सिरसा भी कहा जाता है) के पास मुगलों के खिलाफ एक भयंकर युद्ध छिड़ गया था.
- सरसा नदी पार करते समय गुरु जी के परिवार के सदस्य एक दूसरे से अलग हो गये.
- 1704 के आसपास आनंदपुर की घेराबंदी कर मुगल सम्राट औरंगजेब ने उन पर हमला कर दिया.
- महीनों तक किले पर कब्जा करने के बाद, भोजन और अन्य आवश्यक आपूर्ति बाधित होने लगी और गुरु गोबिंद सिंह और उनके परिवार ने औरंगजेब द्वारा आनंदपुर से सुरक्षित बाहर निकलने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
- इस दौरान गुरु गोबिंद सिंह के दो पुत्रों- जोरावर सिंह, फतेह सिंह- को बंदी बना लिया गया था.
- आखिरकार उन्हें क्रमशः 8 और 5 साल की छोटी उम्र में एक दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था.
- गुरु गोबिंद सिंह जी, उनके बड़े साहिबजादे और सिखों का एक समूह चमकौर के किले में पहुंचे जहां 23 दिसंबर 1704 को 10 लाख क्रूर मुगल सैनिकों से लड़ते हुए बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह शहीद हो गए.
- गंगू (गुरु का पुराना रसोइया) छोटे साहिबजादे और माता गुजरी जी को अपने गांव खीरी ले गये. लालच में आकर उसने छोटे साहिबजादे और माता जी को गिरफ्तार करवा दिया.
- सरहिंद के अत्याचारी नवाब वज़ीर खान ने उन्हें ठंडा बुर्ज में कैद रखा और तीन दिनों तक दरबार में पेश किया.
- इस्लाम न अपनाने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई.
- जब छोटे साहिबजादे ने उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, तो उन्होंने 26 दिसंबर, 1704 को सरहिंद में 7 और 9 वर्ष की उम्र में छोटे साहिबजादों को जिंदा दिवाल में चुनवा दिया था.
- अपने विश्वासों के लिए खड़े होकर और सिख धर्म की गरिमा को ऊंचा रखते हुए, बहुत ही कम उम्र में अपने प्राणों की आहुति देने वाले दो युवा साहिबजादों को याद किया जाता है.
Last Updated : Dec 26, 2023, 11:54 AM IST