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अध्याय सात : घर का ड्राइंग रूम हमेशा ईशान कोण में ही बनवाएं - VASTU CHAPTER FOUR

वास्तु, जिसके उपायों में छिपे हैं कई लाभ, इसलिए हमारी परंपरा में वास्तु का विशेष महत्व है. वास्तुविदों का कहना है कि वायव्य कोण में ड्राइंग रूम बनाएंगे तो रोदन कक्ष, धान्यागार और रोग निवारण के लिए शास्त्रोक्त रीति से उपलब्ध कराए गए स्थान से वंचित रहना होगा.

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Published : Feb 7, 2021, 5:58 AM IST

हैदराबाद : वास्तुशास्त्र में ड्राइंग रूम (स्वागत कक्ष) को लेकर कोई विशेष चर्चा नहीं है. कुछ वास्तु शास्त्रियों ने वायव्य कोण में ड्राइंग रूम बनाने का प्रस्ताव किया है, जो कि प्राचीन वास्तु शास्त्रों की भावना के अनुरूप नहीं है. यदि वायव्य कोण में ड्राइंग रूम बनाएंगे तो रोदन कक्ष, धान्यागार और रोग निवारण के लिए शास्त्रोक्त रीति से उपलब्ध कराए गए स्थान से वंचित रहना होगा.

दूसरे यह भारतीय संस्कृति के विपरीत है कि हम गेस्ट रूम उस जगह बनाएं, जहां मेहमान ज्यादा समय नहीं रुकें. अतः वायव्य कोण में ड्राइंग रूम का प्रस्ताव कोई अच्छी व्यवस्था नहीं है.

स्वागत कक्ष का प्रस्ताव ईशान कोण में होना बताया गया है. बृहत्संहिता के अनुसार ईशान कोण में औषधि, देवगृह और सर्वधाम के स्थान आते हैं. सम्भवतः देवगृह में यदि देवता का भी स्थान हो तो आगंतुक उस स्थान पर अच्छा अनुभव करेगा. अतः यह स्थान ड्राइंग रूम या गेस्ट रूम के लिए अधिक प्रशस्त है.

पुराने राजा-महाराजा दीवाने आम और दीवाने खास बनवाते थे. दीवाने आम में सब व्यक्तियों से मिलते थे और दीवाने खास में कुछ महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों से. आधुनिक वास्तु शास्त्रयों ने एक ऑर्डिनरी डाइन और एक फाइन डाइन (उच्च कोटि के भोजन का विशेष स्थान) का प्रस्ताव किया है.

जानें वास्तु के लाभ और खास उपाय.

फाइन डाइन में ड्रिंक्स का प्रयोग या विशेष भोजन या विशेष अतिथियों का आगमन शामिल किया है, परन्तु यह स्थान ड्राइंग रूम का स्थान नहीं ले सकता. अतः ड्राइंग रूम का स्थान डाइनिंग रूम से अलग रखा जाना ही उचित है.

कुछ आधुनिक आर्किटेक्ट दो ड्राइंग रूम की व्यवस्था रखने लगे हैं, जो मेहमान साधारण रूप से आएं और कुछ समय व्यतीत करके चले जाएं. उनके लिए ईशान कोण का ड्राइंग रूम उत्तम रहता है, परन्तु जो लोग परिवार के अंतरंग मित्र हों और स्त्री बच्चों सहित आएं, उनके लिए नैऋत्य कोण में वह स्थान दिया जा सकता है, जिसे वराहमिहिर ने शस्त्रागार बताया है.

लगभग सभी प्राचीन शास्त्रकारों ने गृहस्वामी के लिए शयनकक्ष दक्षिण दिशा में ही प्रस्तावित किया है, न कि दक्षिण-पश्चिम में. आजकल कुछ वास्तु शास्ति्रयों ने नैऋत्य कोण में मास्टर बैडरूम प्रस्तावित किया है. यह स्थान दक्षिण के शयन कक्ष की अपेक्षा ठीक नहीं है. अतः नैऋत्य कोण में खास पारिवारिक मित्रों के लिए ड्राइंग रूम बना सकते हैं, साथ ही उसे इस तरह तैयार किया जा सकता है कि जब उस घर में मेहमान नहीं हो तो लिविंग रूम या सम्मिलित रूप से बैठकर वहां कुछ गतिविधियां की जा सकें.

इसके दो लाभ होंगे, जिन छोटे पुत्र-पुत्रियों को किसी कारण से भवन में उचित स्थान न दे सकें, उन्हें यदि नैऋत्य के गेस्ट रूम या लिविंग रूम में दो घंटे भी बिताने को मिल जाएं तो उनके व्यक्तिगत गुणों में वृद्धि और स्वभाव में गांभीर्य आने लगेगा, परन्तु ऐसा तभी संभव है जब भूखंड का क्षेत्रफल 300 गज या अधिक हो अन्यथा दो ड्राइंग रूम के स्थान निकालना अत्यंत कठिन काम है.

आजकल आर्किटेक्ट प्लॉट के मध्य में ओपन लाउंज की व्यवस्था करके उसमें डाइनिंग टेबल या सोफा रखने की जगह निकाल देते हैं तथा दोनों के बीच में विभाजक दीवार या पर्दे के माध्यम से दोनों के अलग करने की चेष्टा करते हैं. इससे प्राइवेसी समाप्त हो जाती है. रसोई भी ड्राइंग रूम के नजदीक होनी चाहिए.

इस उद्देश्य से अग्निकोण में रसोई और पूर्व दिशा मध्य में एक डाइनिंग टेबल की व्यवस्था रखते हुए ईशान कोण में ड्राइंग रूम की व्यवस्था कर ली जाए तो न केवल घर की सुविधा बढ़ेगी बल्कि शास्त्रीय नियमों का पालन भी हो सकेगा.

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जो भूखण्ड बहुत बड़े हैं तथा जिसमें मुख्य भवन निर्माण के अतिरिक्त कई गुना अधिक भूमि बच जाती है, उनमें ड्राइंग रूम हमेशा पश्चिम दिशा में ले जाना उचित रहता है, क्योंकि ऐसे भूखंडों में दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम तो निर्मित क्षेत्रफल के कारण सुधर जाता है, परन्तु पश्चिम दिशा खाली रह जाती है.

ड्राइंग रूम मुख्य भवन के अनुपात में न बहुत छोटा हो और न ही बहुत बड़ा. यदि घर में पांच बेडरूम भी हों तो कम से कम 250 वर्ग फुट में एक ड्राइंग रूम अवश्य ही बनाया जाना चाहिए.

लेखक - पंडित सतीश शर्मा, सुप्रसिद्ध वास्तुशास्त्री

ईमेल -satishsharma54@gmail.com

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