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जानिए क्या हैं मेकेदातु परियोजना में आने वाली बाधांए?

कर्नाटक की महत्वाकांक्षी मेकेदातु परियोजना पर फिर से बातचीत शुरू हो गई है, लेकिन इसके बावजूद स परियोजना के क्रियान्वयन में कई बाधाएं हैं. हालांकि परियोजना की कई बाधाएं पहले ही हल हो चुकी हैं. फिर भी, परियोजना के रास्ते में अभी भी कुछ बाधांए आ रही हैं.

मेकेदातु परियोजना
मेकेदातु परियोजना

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Published : Jun 21, 2021, 8:35 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक की महत्वाकांक्षी मेकेदातु परियोजना (Mekedatu project) पर फिर से बातचीत शुरू हो गई है. परियोजना में आ रही बाधाओं के बीच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने पिछले सप्ताह एक समझौता किया है. इसके बावजूद मेकेदातु परियोजना के सुचारू क्रियान्वयन की राह में अभी भी कुछ बाधाएं हैं.

मेकेदातु परियोजना राज्य की बहुप्रतीक्षित परियोजना है. तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu government) के तीखे विरोध के बीच मेकेदाडु परियोजना एक बड़ी चर्चा बनी हुई है. इस परियोजना के क्रियान्वयन में कई बाधाएं हैं. हालांकि परियोजना की कई बाधाएं पहले ही हल हो चुकी हैं. फिर भी, परियोजना के रास्ते में अभी भी कुछ बाधांए आ रही हैं.

क्या है मेकेदातु परियोजना?

यह पेयजल और बिजली उत्पादन पर 9,000 करोड़ रुपये की बांध परियोजना (dam project) है. मेकेदातु बांध का निर्माण कावेरी नदी (Kaveri River) पर मुग्गुरु वन क्षेत्र (Mugguru forest zone) के वॉचिंग टॉवर (watching tower) और रामनगर जिले (Ramanagar district) के हनूर वन क्षेत्र (Hanur forest zone) के बीच एक एकांत भूमि में किया जाएगा.

यह एकान्त स्थान मेकेदातु और संगम के मध्य में है. बांध के स्थल से 2 किमी दूर मेकेदाडु के पास जल विद्युत स्टेशन ( hydro power station) के स्थान की पहचान की गई है.

बेंगलुरु को पानी उपलब्ध कराने का विचार

मेकेदातु बांध 5252.40 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाने का इरादा है. परियोजना के तहत एक बांध का निर्माण करना है, जिसमें 99 मीटर ऊंचाई, 674.5 मीटर लंबाई बांध में 67.2 TMC पानी एकत्र करने की क्षमता है. इससे 4.75 TMC अतिरिक्त पानी का उपयोग बेंगलुरू में पीने के लिए किया जाएगा. साथ ही इस बांध से 400 मेगावाट बिजली पैदा करना लक्ष्य भी है.

परियोजना के तहत पीने के पानी (drinking water ) के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा आवंटित लगभग 24 TMC पानी केवल बेंगलुरु शहर को आवंटित किया गया है और इसमें सिंचाई के लिए कोई प्रावधान नहीं है.

परियोजना की फिसिबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार परियोजना के लिए कुल 5252.40 हेक्टेयर क्षेत्र की आवश्यकता है, जिसमें से 3181.9 हेक्टेयर कावेरी वन्यजीव अभयारण्य (Kaveri Wildlife Sanctuary) के लिए आवश्यक है.

इसके अलावा 1869.5 हेक्टेयर वन भूमि ( forest land) का अधिग्रहण किया जाना है. 201 हेक्टेयर भूमि (hectare land ) राजस्व और निजी भूमि है. इस परियोजना से कुल 5 गांव- मदावाला, कोंगेडोड्डी, संगमा, मुथाठी, बोम्मासांद्रा पानी में डूब जाएंगे.

परियोजना की वर्तमान स्थिति क्या है ?

केंद्र सरकार (central government) ने मेकेदातु परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. 18-01-2019 में अनुमोदन के लिए केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) को 9,000 करोड़ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है.

केंद्रीय जल आयोग ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Kaveri Water Management Authority) को दिनांक 25-01-2019 को इस पर टिप्पणी का अनुरोध करते हुए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भेजी है.

परियोजना के लिए आवश्यक EIA और EMP रिपोर्ट तैयार करने के लिए शर्तों ते आवेदन 20-06-2019 को पर्यावरण और वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests ) की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है.

तदनुसार, जल संसाधन विभाग ने बताया कि 19-07-2019 को विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (Expert Appraisal Committee ) की बैठक के सुझाव के अनुसार प्रस्ताव 4-10-2019 को वन मंत्रालय की वेब साइट पर अपलोड किया गया था.

पढ़ें - तमिलनाडु सीएम ने कावेरी-गुंडर रिवर लिंकिंग परियोजना की रखी आधारशिला

परियोजना में आगे क्या बाधाएं हैं ?

व्यापक परियोजना रिपोर्ट (comprehensive project report) की समीक्षा केंद्रीय जल आयोग के पास है. इसी तरह परियोजना के लिए वन और पर्यावरण मंत्रालय की सहमति अभी भी लंबित है.

इसके अलावा केंद्रीय जल आयोग के विभिन्न निदेशालयों की स्वीकृति लंबित है. परियोजना के तहत कवर किए जाने वाले कुल क्षेत्रफल में से 96% आईडी वन क्षेत्र (id forest area) है, जिसमें से 63% वन्यजीव वन क्षेत्र है.

इस संबंध में पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment) और पर्यावरण प्रभाव योजना अध्ययन (Environmental Impact Plan Study) के प्रस्ताव भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय को अनुमोदन के लिए भेजे गए हैं.

मेकेदातु परियोजना के लिए सबसे बड़ी बाधा तमिलनाडु सरकार द्वारा 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष परियोजना को चुनौती देने वाली याचिका दायर है.

राज्य की कानूनी टीम को अदालत में तमिलनाडु सरकार की कड़ी आपत्ति और आंकड़ों से निपटने होगा. जल संसाधन अधिकारियों ने कहा कि बहस जारी है और याचिका को निपटाने में कुछ महीने लग सकते हैं.

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