बेंगलुरु : कर्नाटक की महत्वाकांक्षी मेकेदातु परियोजना (Mekedatu project) पर फिर से बातचीत शुरू हो गई है. परियोजना में आ रही बाधाओं के बीच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने पिछले सप्ताह एक समझौता किया है. इसके बावजूद मेकेदातु परियोजना के सुचारू क्रियान्वयन की राह में अभी भी कुछ बाधाएं हैं.
मेकेदातु परियोजना राज्य की बहुप्रतीक्षित परियोजना है. तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu government) के तीखे विरोध के बीच मेकेदाडु परियोजना एक बड़ी चर्चा बनी हुई है. इस परियोजना के क्रियान्वयन में कई बाधाएं हैं. हालांकि परियोजना की कई बाधाएं पहले ही हल हो चुकी हैं. फिर भी, परियोजना के रास्ते में अभी भी कुछ बाधांए आ रही हैं.
क्या है मेकेदातु परियोजना?
यह पेयजल और बिजली उत्पादन पर 9,000 करोड़ रुपये की बांध परियोजना (dam project) है. मेकेदातु बांध का निर्माण कावेरी नदी (Kaveri River) पर मुग्गुरु वन क्षेत्र (Mugguru forest zone) के वॉचिंग टॉवर (watching tower) और रामनगर जिले (Ramanagar district) के हनूर वन क्षेत्र (Hanur forest zone) के बीच एक एकांत भूमि में किया जाएगा.
यह एकान्त स्थान मेकेदातु और संगम के मध्य में है. बांध के स्थल से 2 किमी दूर मेकेदाडु के पास जल विद्युत स्टेशन ( hydro power station) के स्थान की पहचान की गई है.
बेंगलुरु को पानी उपलब्ध कराने का विचार
मेकेदातु बांध 5252.40 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाने का इरादा है. परियोजना के तहत एक बांध का निर्माण करना है, जिसमें 99 मीटर ऊंचाई, 674.5 मीटर लंबाई बांध में 67.2 TMC पानी एकत्र करने की क्षमता है. इससे 4.75 TMC अतिरिक्त पानी का उपयोग बेंगलुरू में पीने के लिए किया जाएगा. साथ ही इस बांध से 400 मेगावाट बिजली पैदा करना लक्ष्य भी है.
परियोजना के तहत पीने के पानी (drinking water ) के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा आवंटित लगभग 24 TMC पानी केवल बेंगलुरु शहर को आवंटित किया गया है और इसमें सिंचाई के लिए कोई प्रावधान नहीं है.
परियोजना की फिसिबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार परियोजना के लिए कुल 5252.40 हेक्टेयर क्षेत्र की आवश्यकता है, जिसमें से 3181.9 हेक्टेयर कावेरी वन्यजीव अभयारण्य (Kaveri Wildlife Sanctuary) के लिए आवश्यक है.
इसके अलावा 1869.5 हेक्टेयर वन भूमि ( forest land) का अधिग्रहण किया जाना है. 201 हेक्टेयर भूमि (hectare land ) राजस्व और निजी भूमि है. इस परियोजना से कुल 5 गांव- मदावाला, कोंगेडोड्डी, संगमा, मुथाठी, बोम्मासांद्रा पानी में डूब जाएंगे.
परियोजना की वर्तमान स्थिति क्या है ?