देश के लिए टूरिज्म मॉडल बना वाराणसी वाराणसी: देशभर में टूरिज्म को लेकर एक नई क्रांति आ गई है. ऐसा तब हुआ, जब केंद्र की सरकार ने देशभर के मठ-मंदिरों के जीर्णोंद्धार के लिए कदम उठाया. इसके साथ ही पर्यटन स्थलों के विकास पर खूब काम किया जा रहा है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, श्रीराम मंदिर, महाकाल लोक आदि इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं. इनके जीर्णोद्धार के बाद अब देश-विदेश से टूरिस्ट और श्रद्धालु यहां पर घूमने और स्टे करने के लिए आ रहे हैं.
ऐसे में होटल का कारोबार भी खूब चल निकला है. हम बात अगर विश्वनाथ की नगरी काशी की करें तो काशी देश के लिए टूरिस्ट मॉडल के रूप में बन करके उभर रहा है, जो न सिर्फ देशी-विदेशी मेहमानों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, बल्कि होटल व पीजी कारोबार में एक क्रांतिकारी अग्रणी बन रहा है. बनारस से शुरू हुआ यह टूरिस्ट मॉडल देश भर के रहने वाले लोगों के लिए एक क्रांतिकारी मॉडल हो सकता है, जो उनकी आय का जरिया भी बन सकता है.
2800 लॉज कुछ सालों में बनकर हुए तैयार
बता दें कि वाराणसी में घाट किनारे रहने वाले लोग होटल और पीजी कारोबार में निवेश कर रहे हैं. यह निवेश न सिर्फ बनारस के घाटों की ठाठ को बदल रहा है, बल्कि उनकी आय को भी कई गुना बढ़ा रहा है. इसका परिणाम है कि जहां सिर्फ काशी के अस्सी और दशाश्वमेध घाट पर ही दो-चार पीजी और होटल थे, वहां अब हर घाट पर लगभग 2800 होटल लॉज बीते कुछ सालों मे बनकर तैयार हो गए हैं.
पर्यटक पेइंग गेस्ट में रुकना पसंद करते हैं
टूरिज्म वेलफेयर एसोशिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता ने बताया कि बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद बनारस आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या बहुत बढ़ गई है. अगर हम पिछले साल की तुलना करें तो अभी दोगुना तीर्थ यात्री और पर्यटक आ रहे हैं. पर्यटक पेइंग गेस्ट के साथ-साथ होटल में रुकना पसंद करते हैं. यहां की संस्कृति को समझने का ये अच्छा माध्यम है.
विदेशी मेहमानों की प्राथमिका में हैं पेइंग गेस्ट
उन्होंने बताया कि पेइंग गेस्ट वाले मामले में घर का मालिक भी रहता है. इससे वहां पर रुकने वाले लोगों को यहां के लोगों का रहन-सहन, यहां का खान-पान ये सब समझने को मिलता है. खासकर जो विदेशी पर्यटक होते हैं, उनकी पहली प्राथमिकता पेइंग गेस्ट ही होती है. वे यहां आकर हमें समझना चाहते हैं. हमारे कल्चर को समझना चाहते हैं.
पूरे वाराणसी से आ रहे पेइंग गेस्ट के लिए आवेदन
पर्यटन उप निदेशक राजेंद्र कुमार रावत ने बताया कि आज की तारीख में पेइंग गेस्ट की डिमांड बढ़ी है. चाहे वह सारनाथ हो, चाहे वह बाबा विश्वनाथ के आस-पास का स्थान हो और चाहे काल भैरव के मंदिर के आस-पास का स्थान हो. पूरे बनारस में ज्यादा से ज्यादा लोगों ने पेइंग गेस्ट के लिए आवेदन किया हुआ है. यहां पर कॉरिडोर बनने से लोगों को अच्छा रोजगार भी मिला है.
3000 से अधिक नए आवेदन आए
उन्होंने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद आस-पास के क्षेत्रों का विकास भी हुआ है. आने वाले समय में टूरिस्ट की संख्या और बढ़ेगी. पेइंग गेस्ट सबसे अधिक घाटों के आस-पास के क्षेत्र को पसंद करते हैं. बनारस की सुबह, बनारस के घाट पर घूमना, वहां के आस-पास मंदिरों पर दर्शन करना ये सब चीजें हैं. अभी पेइंग गेस्ट अप्लाई करने वालों की संख्या 3000 से अधिक है. ये संख्या बढ़ती जा रही है. वीकेंड में रूम मिलना मुश्किल रहता है.
अन्य शहरों को भी काशी के इस कॉन्सेप्ट से सीखना चाहिए
उन्होंने बताया कि काशी के लोग इसे एक अच्छे व्यवसाय की तरह देख रहे हैं. क्योंकि, अगर होटलों की कमी आ रही है या होटल महंगे हो रहे हैं तो टूरिस्ट को पीजी में रहना काफी पसंद आ रहा है. इसका चलन भी बढ़ता जा रहा है. जो भी लोग हैं वे अपने आवास में तीन से पांच कमरे पीजी में तब्दील कर सकते हैं. अन्य शहरों को भी काशी के इस कॉन्सेप्ट से सीखते हुए वहां भी पीजी कॉन्सेप्ट पर आगे आना चाहिए.
वाराणसी कैसे बन रहा टूरिज्म के क्षेत्र में क्रांतिकारी
वाराणसी में घाटों पर रहने वालों ने होटल व्यवसाय शुरू कर लिया. वाराणसी के लोगों ने पेइंग गेस्ट की सुविधा शुरू कर दी. वाराणसी में लोगों की आमदनी पहले से कई गुना बढ़ गई. मंदिरों के आस-पास लोगों के घर बन रहे पेइंग गेस्ट हाउस. विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद लोगों ने अवसर को तेजी से पहचाना.
वाराणसी से कैसे ले सकते हैं सीख
मठ-मंदिरों के पास के घरों को पेइंग गेस्ट हाउस में बदल सकते हैं. उनके आस-पास होटलों की सुविधा प्रदान की जा सकती है. अगर आपका घर पर्यटन क्षेत्र के आस-पास है तो उसे पीजी या पेइंग गेस्ट हाउस में बदल सकते हैं. पर्यटन क्षेत्र में पीजी की डिमांड बहुत अधिक होती है, ऐसे में काशी वालों के तर्ज पर पीजी की व्यवस्था शुरू कर सकते हैं. अगर संभव हो तो होटल का निर्माण कर अधिक पैसे कमाए जा सकते हैं.
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