वाराणसी :ज्ञानवापी परिसर में चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों कमीशन कार्रवाई के दौरान सील वजूखाने की सफाई का आदेश दिया था. इसके बाद कल जिलाधिकारी ने 20 जनवरी को इस टैंक की सफाई कराने के लिए कहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि 17 जनवरी को कोर्ट के आदेश के बाद 87 साल बाद इस वजूखाने की सफाई का काम किया जाएगा. इसमें रहने वाली सैकड़ों मछलियों में से अधिकांश की मौत हो चुकी है. साल 2022 में सील हो चुके इस वजूखाने की सफाई काफी वक्त से न होने की वजह से गंदगी फैल रही थी. मस्जिद की देखरेख करने वाली समिति ने इस टैंक की सफाई की मांग की थी.आइए जानते हैं. इसके इतिहास के बारे में...
साल 1937 में हुआ था वजूखाने का निर्माण :इस पूरे प्रकरण पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एसएम यासीन का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण अकबर से भी डेढ़ सौ साल पहले हुआ था. तब यहां एक कुआं हुआ करता था. इससे पानी निकाल कर वजू किया जाता था. ज्ञानवापी की हिस्ट्री के मुताबिक 1937 में वजूखाने का निर्माण किया गया. उस दौरान से ही यह अस्तित्व में आया. तब यह खुला हुआ था. बाद में इसके ऊपर टीन शेड लगाकर इसे कवर किया गया. यासीन के मुताबिक दस्तावेजों के अनुसार पहले पूर्व की तरफ एक दरवाजा खुलता था, जो आजादी के पहले ही बंद हो गया था. वजूखाने की कुल लंबाई 29 फीट है. चौड़ाई 29 से 30 फीट के आसपास है. मुफ्ती-ए-शहर अब्दुल बातिन नोमानी का कहना है कि इसकी गहराई 7 फीट के आसपास है. वजूखाने के ऊपर पहले तीन सेट की छाया थी. बाद में इसे जाली से कवर कर किया गया. लगभग 20 साल पहले में यह जाली लगाने का काम किया गया था.