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जिस वजूखाने की 20 जनवरी को होनी है सफाई जानिए 87 साल पहले कैसे हुआ था उसका निर्माण - वजू टैंक वाराणसी

ज्ञानवापी परिसर में मौजूद वजू टैंक की जल्द ही सफाई कराई जानी है. साल 2022 में इस वजूखाने (Gyanvapi water tank cleaning) को सील कर दिया गया था. मस्जिद की देखरेख करने वाली समिति ने इसकी सफाई के लिए आवाज उठाई थी.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 19, 2024, 2:11 PM IST

वाराणसी :ज्ञानवापी परिसर में चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों कमीशन कार्रवाई के दौरान सील वजूखाने की सफाई का आदेश दिया था. इसके बाद कल जिलाधिकारी ने 20 जनवरी को इस टैंक की सफाई कराने के लिए कहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि 17 जनवरी को कोर्ट के आदेश के बाद 87 साल बाद इस वजूखाने की सफाई का काम किया जाएगा. इसमें रहने वाली सैकड़ों मछलियों में से अधिकांश की मौत हो चुकी है. साल 2022 में सील हो चुके इस वजूखाने की सफाई काफी वक्त से न होने की वजह से गंदगी फैल रही थी. मस्जिद की देखरेख करने वाली समिति ने इस टैंक की सफाई की मांग की थी.आइए जानते हैं. इसके इतिहास के बारे में...

परिसर में ही मौजूद है वजू टैंक.

साल 1937 में हुआ था वजूखाने का निर्माण :इस पूरे प्रकरण पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एसएम यासीन का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण अकबर से भी डेढ़ सौ साल पहले हुआ था. तब यहां एक कुआं हुआ करता था. इससे पानी निकाल कर वजू किया जाता था. ज्ञानवापी की हिस्ट्री के मुताबिक 1937 में वजूखाने का निर्माण किया गया. उस दौरान से ही यह अस्तित्व में आया. तब यह खुला हुआ था. बाद में इसके ऊपर टीन शेड लगाकर इसे कवर किया गया. यासीन के मुताबिक दस्तावेजों के अनुसार पहले पूर्व की तरफ एक दरवाजा खुलता था, जो आजादी के पहले ही बंद हो गया था. वजूखाने की कुल लंबाई 29 फीट है. चौड़ाई 29 से 30 फीट के आसपास है. मुफ्ती-ए-शहर अब्दुल बातिन नोमानी का कहना है कि इसकी गहराई 7 फीट के आसपास है. वजूखाने के ऊपर पहले तीन सेट की छाया थी. बाद में इसे जाली से कवर कर किया गया. लगभग 20 साल पहले में यह जाली लगाने का काम किया गया था.

कई साल बाद टैंक की सफाई कराई जाएगी.

कड़ी सुरक्षा के बीच होगी सफाई :वजूखाने में लगभग 500 मछलियों को रखा गया था. इसकी देखरेख के लिए समय-समय पर इसकी सफाई की जाती रही और उनकी सुरक्षा और खान-पान की जिम्मेदारी यहां के एक विशेष व्यक्ति को भी दी गई थी. यासीन बताते हैं कि इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार अल्लाह की इबादत करने से पहले वजू करना जरूरी होता है. इसके बिना नमाज अल्लाह कबूल नहीं करते. वजू करने का तरीका होता है. इसमें फेरबदल नहीं किया जा सकता फेरबदल करने पर इसे दोबारा करना पड़ता है. इसे शुद्ध और साफ पानी से ही किया जाता है. इसलिए इस वजू टैंक का निर्माण करवाया गया था. फिलहाल याचिका देकर इसमें मिले शिवलिंगनुमा आकृति की सुरक्षा करने की अपील की गई. इसके बाद इस पूरे वजू खाने को सील करके सीआईएसएफ की निगरानी में इसे सौंप दिया गया तब से इसकी सफाई नहीं हुई है. अब कड़ी सुरक्षा के बीच इसकी सफाई कराई जाएगी.

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