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उत्तरकाशी टनल हादसा: छह एक्शन प्लान पर एक साथ हो रहा काम, एक में मिली सफलता, जानें और कितने दिन फंसे रहेंगे श्रमिक

Uttarkashi Tunnel collapse उत्तरकाशी टनल में फंसे हुए 41 मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू टीम युद्ध स्तर पर काम कर रही है, लेकिन कोई भी योजना सफल होती हुई नहीं दिख रही है. वर्तमान स्थिति की बात करें तो कल से ड्रिलिंग का काम रूका हुआ है. इसी के साथ विदेश से जो विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई है, वो भी एक साथ 6 प्लानों पर काम कर रही है. सबसे बड़ा खतरा ड्रिलिंग के दौरान टनल धसने का है, जिस वजह से काफी सावधानी बरती जा रही है.

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 20, 2023, 7:53 PM IST

Updated : Nov 20, 2023, 8:08 PM IST

Uttarkashi Tunnel collapse
छह एक्शन प्लान पर एक साथ हो रहा काम

छह एक्शन प्लान पर एक साथ हो रहा काम

देहरादून (उत्तराखंड): उत्तरकाशी के सिलक्यारा में 12 नवंबर को हुए टनल हादसे के बाद से अबतक 7 राज्यों के 41 मजदूर सुरंग में फंसे हुए हैं. 9 दिन और 200 घंटे से अधिक बीत जाने के बाद भी किसी को अभी तक ये नहीं मालूम कि श्रमिक कब और कैसे बाहर निकल सकेंगे. उत्तरकाशी में मौजूद देश-विदेश के बड़े एक्सपर्ट्स अपने-अपने प्लान के अनुसार काम करके देख चुके हैं. हर दिन एक नया प्लान सामने आ रहा है. अब एक बार फिर से कुछ नए प्लान बनाए गए हैं, ताकि जल्द से जल्द मजदूरों को बाहर निकाला जा सके.

बाहर श्रमिकों को निकालने की जद्दोजहद जारी है तो अंदर फंसे मजदूर बार-बार बस एक ही बात कह रहे हैं कि उनको वहां से जल्द निकाला जाए क्योंकि उनकी हिम्मत जवाब दे रही है. उधर, टनल साइट पर कई मजदूरों के परिजन टकटकी लगाए बैठे हैं. परिजनों से मजदूरों की समय-समय पर बात भी करवाई जा रही है, ताकि अंदर फंसे मजदूरों को हिम्मत बंधी रहे.

उत्तरकाशी टनल हादसा

लगभग 200 घंटे बाद भी पूरा देश यही सुन रहा है कि जल्द ही सभी को निकाल लिया जाएगा, लेकिन वर्तमान हकीकत ये है कि रविवार रात से (19 नवंबर) सुरंग के अंदर हो रही ड्रिलिंग को रोका हुआ है, क्योंकि बताया जा रहा है कि लगातार मशीन की कंपनता से पत्थर गिरने का भय बना हुआ है. अब तमाम एजेंसी दूसरे विकल्प पर काम कर रही हैं, जिसमें सुरंग के ऊपर से सुराख करने से लेकर रोबोट से मलबा हटाने तक प्लान शामिल है.

उत्तरकाशी टनल हादसा
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उत्तरकाशी टनल से मजदूरों को निकालने के लिए अब तमाम एजेंसियां 6 एक्शन प्लान पर काम कर रही है, जिसमें-

पहला प्लान- अब 170 मीटर टनल के सबसे पीछे की तरफ यानी जहां पर मजदूर फंसे हैं उनके ठीक पीछे सुरंग के अंतिम छोर पर एक और नई सुरंग बनाई जाएगी. यह काम आरवीएनएल (रेल विकास निगम) को दिया गया है. इसका सर्वे आज देर रात तक पूरा हो जाएगा. मंगलवार 21 नवंबर को इसकी पूरी रिपोर्ट सौंपी जाएगी. इस काम के लिए मंगलवार को दिल्ली और पुणे सहित गुजरात से कई मशीनें उत्तरकाशी पहुंचेगी. अगर यह कार्य पूरा होता है तो मजदूरों को दूसरी सुरंग से निकाला जा सकेगा.

दूसरा प्लान- सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग करके एक बड़ा होल किया जाएगा. ये काम मुख्य रूप से ओएनजीसी कर रहा है. इसके लिए बकायदा सुरंग के ऊपर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) एक बड़ी सड़क (करीब 1200 मीटर) भी पहुंचा रहा है. सोमवार रात तक ये काम पूरा हो जाएगा. बीआरओ ने 24 घंटे के अंदर बेहद तेजी से ये काम किया है. सड़क बनाने के साथ-साथ ड्रिलिंग मशीन भी ऊपर तक पहुंचाई जा रही है.

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ड्रिलिंग मशीन जब सुरंग के ऊपर पहुंच जाएगी तो उसके जरिए सुरंग के उस हिस्से में होल किया जाएगा जहां पर मलबा गिरा है. यहां पर ऊपर से नीचे की ओर (वर्टिकल ड्रिलिंग से) एक बड़ा होल किया जाएगा. इसके लिए अभी तमाम एजेंसियां पहाड़ का परीक्षण भी कर रही हैं. इसमें इसका अध्ययन भी किया जा रहा है कि मशीन चलाने के बाद पहाड़ की मिट्टी, पेड़ और पहाड़ के अंदर किस तरह की हलचल हो सकती है. अगर ऐसा होता है तो इस कार्य को पूरा होने में भी लगभग चार दिन का वक्त लग जाएगा.

तीसरा प्लान- सुरंग के ऊपरी हिस्से में ही अंतिम छोर पर एक बड़ी मशीन से ड्रिलिंग की जाएगी यह काम RVNL (रेल विकास निगम) के जिम्मे है. बड़ी मशीन से एक बड़ा होल करके यहां से भी मजदूरों को निकालने की कोशिश की जाएगी. इस काम में भी अभी समय लग सकता है. इसके तहत ऊपर से भी एक बड़ा पाइप नीचे की ओर डाला जा सकता है.

चौथा प्लान- सुरंग के ऊपरी हिस्से यानी छत वाले हिस्से से एक बड़ा पाइप अंदर की तरफ डाला जाएगा. यह पाइप इतना बड़ा होगा कि मजदूरों को इसके माध्यम से बाहर निकाला जा सके. यह काम एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड) की जिम्मेदारी है. इस काम के तहत लगभग 57 मीटर अंदर एक बड़ा पाइप डालने की योजना है.
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पांचवां प्लान- ओएनजीसी को सुरंग के बिल्कुल बीचों बीच एक बोरिंग करने का काम दिया गया है. इस बोरिंग के माध्यम से भी मजदूरों तक पहुंचने की कवायद की जाएगी. अगर यह कार्य भी सफल होता है तो एक-एक कर मजदूरों को बाहर निकाला आसान होगा. लेकिन इस काम के बीच में सबसे बड़ी अड़चन यही है कि ऊपरी हिस्से से जब बोरिंग होगी तो पहाड़ का कोई हिस्सा न खिसके, जैसा कि नीचे से ड्रिलिंग के वक्त हुआ है.

छठा प्लान- हालांकि, छठे प्लान के तहत कार्य कर रही एजेंसियों को सफलता हाथ लगी है. रविवार से ही एजेंसियां इस कवायद में थीं कि मजदूरों को अब तक जो खाने के रूप में ड्राई फ्रूट्स भेजे जा रहे थे, उनके बदले सालिड और पौष्टिक भोजन मिल सके जैसे खिचड़ी, दूध, फल. इसके लिए एक 6 इंच पाइप अंदर भेजने का काम तेजी से जारी था, जिसको आज (सोमवार 20 नवंबर) शाम लगभग 4 बजे पूरा कर लिया गया है. अब इस पाइप के माध्यम से डॉक्टरों की सलाह के बाद मजदूरों को न केवल खाना-पीना भेजा जाएगा, बल्कि एक एंडोस्कोपी कैमरा भी अंदर भेजा जा रहा है ताकि मजदूरों के मूवमेंट और सही हालात पर नजर बनाई जा सके.
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कैमरा ये भी देखेगा कि मजदूर किस दिशा में बैठे हैं और उनको मोबाइल फोन या सेटेलाइट के माध्यम से यह दिशा निर्देश दिए जा सकते हैं कि मजदूर किस दिशा में बैठे रहें और मशीन अपना काम अच्छे से कर सके. पाइप के सफलतापूर्वक अंदर जाने के बाद आपदा सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि ये सफलता हमारे काम को और गति प्रदान करेगी.

9 दिन से चल रही इस कवायद और नए प्लान के बाद ये बात साफ हो गई है कि अभी फिलहाल शायद कुछ और दिन मजदूरों को बाहर नहीं निकला जा सकता है. अब मजदूरों को निकालने के लिए इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स भी सिलक्यारा पहुंच गए हैं. अर्नोल्ड डिक्स को भूमिगत और परिवहन बुनियादी ढांचे को लेकर स्पेशलिटी हासिल है. इसके साथ ही भारी भरकम मशीनों का भी लगातार पहुंचना जारी है. लेकिन अभी भी किसी को ये साफ नहीं है कि इस काम की अंतिम तिथि कब होगी..

Last Updated : Nov 20, 2023, 8:08 PM IST

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