उत्तरकाशी (उत्तराखंड):उत्तरकाशी टनल हादसा आज 12वें दिन का समय पूरा कर रहा है. पिछले 12 दिन से चारधाम रोड परियोजना की टनल बना रहे 41 मजदूर अंधेरी सुरंग में कैद हैं. बुधवार रात या आज सुबह तक मजदूरों का रेस्क्यू पूरा हो जाने की बात सही साबित नहीं हुई है. आज केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने टनल में चल रहे रेस्क्यू कार्य का निरीक्षण किया. इसके बाद पीएमओ से आए वरिष्ठ आईएएस भास्कर खुल्बे ने साफ किया कि अभी टारगेट तक पहुंचने में 12 से 14 घंटे लग सकते हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी का कारण हम आपको बताते हैं.
जोड़कर डाले जा रहे पाइप: उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में रेस्क्यू के लिए टनल में आए मलबे को भेदकर लोहे के पाइपों के लिए रास्ता बनाया जा रहा है. चूंकि टनल के अंदर 60 मीटर की दूरी पर 41 मजदूर फंसे हैं तो वहां तक पाइप पहुंचाने पड़ेंगे. 60 मीटर लंबा कोई एक पाइप तो होता नहीं है. ऐसे में अनेक पाइपों को सिलसिलेवार जोड़कर मलबे को हैवी ऑगर मशीन से चीरकर पाइप अंदर डाले जा रहे हैं.
ऐसे डाले जा रहे टनल के अंदर पाइप: सिलक्यारा टनल में अमेरिकन हैवी ऑगर ड्रिलिंग मशीन से पाइप पुश किए जा रहे हैं. एक पाइप को जब मलबे में ड्रिल करके अंदर पुश किया जाता है तो उसका करीब 2 मीटर का हिस्सा बाहर ही छोड़ना होता है. अंदर पुश किए गए पाइप के बाहर छूटे दो मीटर के हिस्से पर दूसरा पाइप जोड़ा जाता है. पाइप जोड़ने के लिए वेल्डिंग की जा रही है. एक पाइप के दो मीटर के हिस्से में दूसरा पाइप जोड़ने के लिए वेल्डिंग करने में करीब डेढ़ घंटे का समय लग रहा है. रेस्क्यू टीमों के वेल्डर इस बात का खास ख्याल रख रहे हैं कि वेल्डिंग इतनी मजबूत हो कि दूसरे पाइप को अंदर पुश करते समय वो उखड़े नहीं.
वेल्डिंग पूरा होने में लग रहा इतना समय:डेढ़ घंटे में वेल्डिंग पूरी होने के बाद करीब पौन घंटा इसे ठंडा करने में लग जाता है. जब वेल्डिंग करने वाली टीम इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाती है कि वेल्डिंग किया गया हिस्सा अब ठंडा होकर अंदर पुश किया जा सकता है तो फिर आगे की प्रक्रिया शुरू होती है. ये प्रक्रिया हर एक पाइप को जोड़ने में अपनानी पड़ती है.
इससे पहले अमेरिकन हैवी ऑगर ड्रिलिंग मशीन से 900 एमएम के 22 मीटर तक पाइप सुरंग के अंदर डाले गए थे. इन पाइपों के साथ समस्या आ गई थी. फिर 900 एमएम के इन पाइप के अंदर 800 एमएम के पाइप डाले गए थे. इसके साथ ही भोजन और अन्य जरूरी सामग्री टनल के अंदर भेजने के लिए पहले ही 6 इंच के पाइप डाले थे. दूरबीन वाला कैमरा भी इसी पाइप से सुरंग के अंदर भेजा गया था, जिससे देश ने पहली बार टनल में फंसे लोगों को देखा था.
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