उत्तरकाशी (उत्तराखंड): वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत शामिल नेलांग और जादुंग गांव को इनर लाइन बाध्यता से बाहर करने के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है. जिला प्रशासन की मानें तो अंतराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा के दृष्टिगत गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय से विचार विमर्श कर इस पर निर्णय लेगा. इन गांवों से विस्थापित बगोरी के ग्रामीणों ने इस संबध में पीएम मोदी को पत्र लिखकर इनर लाइन बाध्यता को समाप्त करने की मांग की थी.
वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल गांवःभारत सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत हर्षिल घाटी के 8 गांवों के साथ ही नेलांग जादुंग गांव को शामिल किया गया है. साल 1962 में शीतकाल में चीन ने अचानक भारत पर हमला कर दिया था. उस समय नेलांग और जादुंग गांव के ग्रामीण अपनी भेड़ बकरियों के साथ निचले इलाकों में आए थे. युद्ध की स्थिति को देखते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत चीन (तिब्बत) पर पीएससी की टुकड़ी भेजी. इस टुकड़ी ने नेलांग जादुंग गांव के घरों को छावनी में तब्दील कर दिया था.
साल 1962 में नेलांग गांव में करीब 36 और जादुंग गांव में 16 परिवार निवास करते थे. ग्रीष्मकाल में जब ग्रामीणों का वापस जाने का समय था तो उन्हें उनके घरों में सामरिक दृष्टिकोण से नहीं जाने दिया गया. नेलांग जादुंग गांव के जाड़ समुदाय के लोगों को हर्षिल के पास बगोरी और डुंडा में विस्थापित कर दिया गया. उसके बाद से अब तक ग्रामीणों को साल में एक बार उनके कुल देव लाल देवता की पूजा के लिए जिला प्रशासन की ओर से गांव जाने की अनुमति दी जाती है.