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Uttarakhand Assembly Election: मतदाताओं को धर्म व विकास के बीच करना होगा चयन

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने पहाड़ी राज्य के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाने का वादा किया. दरअसल उत्तराखंड के मतदाताओ को इस बार धर्म व विकास में से किसी (religion and development) एक का चुनना होगा. वरिष्ठ पत्रकार अतुल चंद्र की रिपोर्ट.

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उत्तराखंड में मतदान

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Published : Feb 14, 2022, 5:14 PM IST

Updated : Feb 14, 2022, 5:37 PM IST

देहरादून : उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने समान नागरिक संहिता का मसौदा (uniform civil code draft) बनाने का वादा किया है. वर्तमान में गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जिसका अपना यूसीसी है. हालांकि यूसीसी भाजपा और आरएसएस के एजेंडे में है लेकिन संसद में विधेयक पेश किया जाना बाकी है. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के मुताबिक इस मामले को 22वें विधि आयोग द्वारा उठाया जा सकता है.

उत्तराखंड में मतदान

राज्य में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपने निर्वाचन क्षेत्र खटीमा में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, जिसमें 632 उम्मीदवारों में से 70 विधायकों का चुनाव करने के लिए 14 फरवरी को मतदान हो रहा है, धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता विवाह के लिए समान कानून बनाकर सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देंगे. मुस्लिम यूसीसी का विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह उनके पर्सनल लॉ का उल्लंघन करता है. एक स्थानीय पत्रकार के अनुसार पुष्कर द्वारा की गई अंतिम मिनट की घोषणा के बहुत दूर जाने की संभावना नहीं है क्योंकि यह कभी कोई मुद्दा नहीं रहा है. साथ ही हरिद्वार (34.28 प्रतिशत), उधम सिंह नगर (22.58 प्रतिशत) और नैनीताल (12.65 प्रतिशत) को छोड़कर पहाड़ी राज्य में मुस्लिम आबादी विरल है.

फिर भी धामी ने मौजूदा लव जिहाद विरोधी कानून को और अधिक सख्त बनाने और जनसांख्यिकीय असंतुलन को रोकने के लिए अवैध भूमि कब्जे की जांच करने का वादा किया. 2016 में हरीश रावत के मुसलमानों को नमाज तोड़ने की अनुमति देने के फैसले के फिर से उठने की संभावना है. धामी को ध्रुवीकरण का सहारा लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि कांग्रेस हरीश रावत और हरक सिंह रावत के बीच आंतरिक सत्ता के खेल में फंस गई है. उत्तरार्द्ध ने 2016 में हरीश रावत सरकार को हटाने के लिए नौ विधायकों के साथ भाजपा को छोड़कर कांग्रेस को झटका दिया था.

पार्टी के घोषणापत्र में किए गए अन्य वादों में गरीब परिवारों को एक साल में तीन एलपीजी सिलेंडर मुफ्त दिए जाने हैं. बीजेपी के सत्ता में लौटने पर बीपीएल परिवारों की महिलाओं को 2000 रुपये प्रति माह और गरीब बच्चों को 1000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे. घोषणापत्र में पहाड़ी इलाकों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को 40000 रुपये देने का भी वादा किया गया है. दूसरी ओर कांग्रेस ने लोगों को 400000 नौकरियों, महिलाओं को पुलिस विभाग में 40 प्रतिशत नौकरी और रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 500 रुपये करने का वादा किया है. इसने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन में 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी का भी वादा किया है.

एक मुद्दा जिसका दो मुख्य दलों के घोषणापत्रों में जोरदार उल्लेख नहीं मिलता है, वह है पहाड़ियों से आबादी का पलायन, मुख्य रूप से उधम सिंह नगर और हरद्वार के मैदानी इलाकों में. खराब स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, पहाड़ियों में कनेक्टिविटी, पलायन के बाद, अकेले अल्मोड़ा में 87 भूतिया गांव हैं और इसलिए कोई मतदान केंद्र नहीं है. टिहरी गढ़वाल क्षेत्र और राज्य के अन्य हिस्सों में इसी तरह के कई भूतिया (भूत) गांव हैं. देवभूमि में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चार धाम परियोजना के बावजूद, रणनीतिक सीमावर्ती राज्य में विकास और पर्यावरण संरक्षण मुख्य मुद्दे हैं.

बीजेपी का कहना है कि वह पहाड़ों से पलायन के मुद्दे पर काम कर रही है, जबकि कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा लक्ष्य है. विडंबना यह है कि मुख्यमंत्री पद के मुख्य दावेदार पुष्कर सिंह धामी (खटीमा) और हरीश रावत (लाल कुआं) दोनों ही कुमाऊं के मैदान से चुनाव लड़ रहे हैं. यह एक तरह से गढ़वाल क्षेत्र के राजनीतिक महत्व को भी छीन लेता है, जिसमें पहाड़ी राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण है.

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2012 के चुनावों में कांग्रेस ने 32 सीटें जीती थीं, जो भाजपा की 31 सीटों से सिर्फ एक अधिक थी. लेकिन बीजेपी, बसपा, उत्तराखंड क्रांति दल और निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद से सरकार बनाने में सफल रही. बीजेपी को मिली 31 सीटों में से 16 गढ़वाल और 15 कुमाऊं की थीं. कांग्रेस कुमाऊं से केवल 13 सीटें जीत सकी लेकिन गढ़वाल में 19 सीटें जीतकर बेहतर प्रदर्शन किया. धामी को क्षेत्र में पार्टी की पकड़ को और मजबूत करने और हरीश रावत के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए नियुक्त किया गया है. हालांकि लोग धर्म या विकास के नाम पर वोट देंगे या नहीं यह मतगणना के दिन 10 मार्च को ही पता चलेगा.

Last Updated : Feb 14, 2022, 5:37 PM IST

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