संसद सुरक्षा मामले पर उत्तराखंड के मोहन पाठक हल्द्वानी (उत्तराखंड):देशभर में इन दिनों संसद सिक्योरिटी ब्रीच का मामला सुर्खियों में हैं. संसद सुरक्षा सेंध मामले में अब तक चार आरोपियों को पुलिस कस्टडी में भेजा जा चुका है. इन चारों आरोपियों ने 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंधमारी की थी. इस घटना के बाद संसद की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. 13 दिसंबर 2023 से ठीक 29 साल पहले उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक ने भी संसद की सुरक्षा में सेंध लगाई थी. 24 अगस्त 1994 को मोहन पाठक ने भी संसद के दर्शक दीर्घा से कूद स्पीकर की कुर्सी तक पहुंचने की कोशिश की. इस दौरान मोहन पाठक ने उत्तराखंड अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर नारेबाजी भी की थी.
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक 29 साल बाद हुई ऐसी ही घटना पर मोहन पाठक से बात की गई. मोहन पाठक ने कहा उन्होंने उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए अपना योगदान दिया. उन्होंने बताया जब वे संसद में घुसे तब वे छात्र राजनीतिक से जुड़े हुये थे. 24 अगस्त 1994 को अपने साथी मनमोहन तिवारी के साथ वे संसद दीर्घा में पहुंचे. जहां उन्होंने उत्तराखंड राज्य निर्माण की मांग को लेकर नारेबाजी की.
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इसके बाद वे दर्शक दीर्घा से कूद कर स्पीकर की कुर्सी तक पहुंच गये. इस दौरान राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक ने 'आज दो अभी दो उत्तराखंड राज्य अलग दो' का नारा लगाया. संसद में घुसे मोहन पाठक ने शांतिपूर्वक अपनी बात को संसद में रखा. उन्होंने अहिंसात्मक प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया तब वो अपने साथ किसी तरह के कोई भी अवैधानिक चीज अंदर नहीं ले गये थे.
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संसद सिक्योरिटी ब्रीच पर बोलते हुए मोहन पाठक ने कहा 13 दिसंबर 2023 को संसद में जो घटना घटी है वह असंवैधानिक है. उन्होंने कहा अपनी मांगों को मांगने के लिए कई तरह के उपाय हैं. उन्होंने कहा संसद की सुरक्षा देश की सुरक्षा है. इससे कभी भी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा सभी को लोकतंत्र में अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन असंवैधानिक तरीके से अपनी मांगे रखना पूरी तरह से गलत है. लोगों को इस तरह की कृत्य करने से पहले राष्ट्र के बारे में सोचना चाहिए. मोहन पाठक ने लोगों से संसद की गरिमा बनाये रखने की अपील की.
29 साल पहले संसद में घुसे थे मोहन पाठक तीन दिन की सुनाई गई सजा, भेजा गया तिहाड़ जेल:24 अगस्त 1994 को उत्तराखंड के दो युवक 13 दिसंबर की तरह ही दर्शक दीर्घा में पहुंचे गए थे. मोहन पाठक और मनमोहन तिवारी दोनों ही राज्य आंदोलनकारी थे. संसद में घुसे मनमोहन तिवारी और मोहन पाठक ने संसद के दर्शक दीर्घा से नारेबाजी की. यह नारेबाजी उत्तर प्रदेश से पहाड़ी क्षेत्र को अलग करते हुए एक नए राज्य के गठन से जुड़ी थी. बताया जाता है कि मोहन पाठक ने दर्शक दीर्घा के चेंबर से छलांग लगाते हुए 13 दिसंबर को हुई घटना की तरह ही सांसदों के बीच जाकर नारेबाजी की.
29 साल पहले उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक मनमोहन तिवारी ने दर्शक दीर्घा से ही अलग राज्य के गठन को लेकर नारेबाजी कर पर्चे फेंके. इस घटना के बाद संसद की अवमानना को लेकर इन दोनों को ही तीन दिन की सजा सुनाई गई. इसके बाद इन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया. जब यह घटना हुई, उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार थी. शिवराज पाटिल तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष थे.