देहरादून (उत्तराखंड):हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड की देवभूमि के रूप में अलग ही पहचान है, लेकिन बीते कुछ सालों से ऐसी कई गतिविधियां हो रही है, जिससे उत्तराखंड के दामन में कहीं न कहीं बदनामी का टैग लग रहा है. देश में कहीं भी कोई बड़ा क्राइम हो तो उसके कनेक्शन गाए बगाहे उत्तराखंड से जुड़ने लगते हैं. बीते कुछ सालों से अपराधियों के साथ ही आतंकियों के लिए मुफीद ठिकाना उत्तराखंड के कई शहर रहे हैं. हाल ही में दिल्ली स्पेशल सेल के हत्थे चढ़े 3 आतंकियों का कनेक्शन भी यहां से निकला है.
दरअसल, दिल्ली स्पेशल सेल के हाथ लगे ISIS के तीन आतंकियों के तार उत्तराखंड से जुड़े मिले हैं, जिसमें खुलासा हुआ है कि आतंकी बम आदि की सामग्री लेकर उधमसिंह नगर के किच्छा में 3 तक दिन रुके थे. जो बम का परीक्षण न कर पाने पर चौथे दिन यहां से फरार हो गए थे. इसकी जानकारी दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस से साझा की है. जिसके बाद आतंकियों के उत्तराखंड में ठहरने की बात सामने आई. इसके बाद पुलिस महकमे, खुफिया एजेंसी समेत तमाम सुरक्षा बलों के कान खड़े हो गए.
उधमसिंह नगर में 3 दिन रुके थे आतंकी: दिल्ली पुलिस की ओर से उत्तराखंड पुलिस को साझा की गई जानकारी में कहा गया है कि उधम सिंह नगर के किच्छा के सिरौलीकला में 1100 रुपए देकर 4 आतंकी एक मकान में ठहरे थे. हालांकि, एक आतंकी आते ही कहीं चला गया था, लेकिन 4 दिन बाद जब मकान मालिक ने उनकी आईडी मांगी तो वो कुछ भी नहीं दिखा पाए. इसके बाद वो अचानक वहां से चलते बने.
दिल्ली पुलिस की मानें तो आतंकी मो. शाहनवाज आलम उर्फ शैफी उज्जमा, मो. रिजवान, और मो. अशरद वारसी यहीं रुके थे. इन तीनों को दिल्ली स्पेशल सेल ने 2 अक्टूबर 2023 को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया. खुलासे में ये भी बताया गया है कि वो अपने साथ बम बनाने का सामान लेकर किच्छा आए थे.
उनकी प्लानिंग थी कि वो उत्तराखंड के जंगलों में एक बार इन बमों का परीक्षण करेंगे, लेकिन आस पास ज्यादा घर होने की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए. उनकी यहां रुकने का इरादा इसलिए भी था, क्योंकि शाहनवाज और रिजवान साल 2012 में भी किच्छा आ चुके थे.
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पुलिस कर रही है हर पहलु पर जांचः दिल्ली पुलिस ने उधम सिंह नगर पुलिस को जिस पते के बारे में बताया है, वो किसी मोबाइल सर्विस करने वाले का मकान है. इसके बाद उत्तराखंड की खुफिया विभाग ने भी आस पास के क्षेत्रों में पूछताछ और सघन अभियान चलाया हुआ है. उधमसिंह नगर एसएसपी मंजूनाथ टीसी की मानें तो पुलिस के सत्यापन का ही असर है कि मकान मालिक ने उससे आईडी मांगी, जिससे बाद वो यहां से चले गए.
एसएसपी मंजूनाथ टीसी कहते हैं कि यहां किसी तरह का बम परीक्षण नहीं हुआ है. जानकारी मिली है कि वो अपने साथ कुछ दस्तावेज और कारतूस के अलावा बम बनाने की सामग्री भी लेकर आए थे. फिलहाल, पुलिस ने मकान मालिक के खातों की भी जांच की है जिसमें किसी तरह का कोई लेनदेन सामने नहीं आया है.
वहीं, मामला सामने आने के बाद एसएसपी ने स्पेशल टीम गठित की है, जो इस पूरे मामले की अपने स्तर से जांच करेगी. इसके साथ ही मकान मालिक के परिजनों के बैंक खाते समेत फोन कॉल भी खंगाल रही है.
कब-कब पकड़े गए यूएसनगर में आतंकी: ऐसा नहीं है कि उधमसिंह नगर से पहली बार ऐसे कोई इनपुट सामने आए हों, इससे पहले भी पंतनगर से लेकर रुद्रपुर और हरिद्वार से लेकर देहरादून तक से आतंकियों से जुड़ी जानकारी सामने आती रही है. पंतनगर में ही साल 2008 में रामपुर का निवासी एक लाख रुपए का इनामी आतंकी पुलिस के हत्या चढ़ा था.
इसको अपने घर पर रखने के आरोप में पंतनगर के ही नाफिस खान को भी पुलिस ने उस वक्त गिरफ्तार किया था. इतना ही नहीं, एसटीएफ ने पठानकोट बम ब्लास्ट के आरोपियों को घर में रखने के आरोप में ही पंतनगर से चार लोगों को गिरफ्तार किया था.
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साल 2002 में उधमसिंह नगर में ही दिल्ली पुलिस ने तीन आतंकियों को मार गिराया था. बताया जाता है कि इन आतंकियों ने 90 के दशक में रुद्रपुर के अलग-अलग स्थान पर बम ब्लास्ट किए थे. इसके साथ ही खालिस्तान आतंकियों को लेकर भी उधमसिंह नगर हमेशा चर्चाओं में रहा है. 90 के दशक में घोड़ा, स्वर्णा और हीरा आतंकी भी उधम सिंह नगर में अपना ठिकाना बना चुके थे.
देहरादून में जब ठहरे थे आतंकीः बात अगर देहरादून की करें तो साल 2010 में हिजबुल के दो आतंकी पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं. ये आतंकी दून में पासिंग आउट परेड को अपना निशाना बनाना चाहते थे. इसके साथ ही देहरादून में ही साल 2018 में एक इंस्टीट्यूट में पढ़ाई कर रहा आतंकी भी पुलिस के हाथ लग चुका है. इसके पकड़े जाने से भी कश्मीर को लेकर कई तरह के इनपुट पुलिस को मिले थे. बाद में तमाम एजेंसियों ने भी इससे पूछताछ की थी.
इसके अलावा साल 2019 में भी देहरादून के सेलाकुई में नदीम के बड़े भाई के बारे में पता लगा था कि वो यहां पर एक दुकान चलाता था. नदीम को साल 2013 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने सहारनपुर से गिरफ्तार किया था. बताया जाता है कि नदीम किसी बड़े फिदायीन हमले की फिराक में था और व्हाट्सएप के साथ-साथ तमाम सोशल मीडिया के माध्यम से वो आतंकियों से ट्रेनिंग ले रहा था.
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धर्मनगरी हरिद्वार में भी कई बार छिपे आतंकीःहरिद्वार भी आतंकियों से अछूता नहीं है. साल 2009 में रुड़की के एक धार्मिक स्थल में दो आतंकी ने रात बिताई थी. जिसके बाद तमाम सुरक्षा एजेंसियों की नींद हराम हो गई थी. रुड़की के ही नगला गांव का एक व्यक्ति आतंकी गतिविधियों में पाया जा चुका है.
ये बात तब सामने आई थी, जब उसके गांव के आसपास चार संदिग्ध आतंकवादियों को पुलिस ने पकड़ा था. बताया जाता है कि रुड़की के साथ उनका ठिकाना हरिद्वार का ज्वालापुर था. पुलिस ने अर्धकुंभ मेले में ट्रेन को उड़ाने की साजिश रचने वालों को भी हरिद्वार से गिरफ्तार किया था.
पुलिस की सतर्कता से नहीं घटी कोई बड़ी घटनाः उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों से समय-समय पर आने वाली ऐसी जानकारी से ये साफ हो जाता है कि हिस्ट्रीसीटर हो या आतंकी या फिर कोई अपराधी, उसके लिए सबसे महफूज जगह उत्तराखंड का तराई इलाका बनता नजर आ रहा है. हालांकि, उत्तराखंड पुलिस का कहना है कि समय-समय पर तमाम लोगों का सत्यापन किया जाता है. साथ ही दूसरे राज्यों की पुलिस से लगातार संबंध में बनाकर काम किया जाता है. ताकि, किसी तरह की कोई भी गतिविधि प्रदेश में न हो सके.