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Discrimination against Dalits: उत्तराखंड में दलितों से भेदभाव करने वाले मंदिरों की बनेगी सूची

उत्तराखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग (एससीएससी) ने अपनी तरह के पहले कदम के तहत सभी 13 जिला प्रशासनों से उन मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों की सूची तैयार करने को कहा है, जहां अभी भी दलितों को जाने की अनुमति नहीं है. दरअसल बीते दिनों में उत्तराखंड में दलित उत्पीड़न की कई घटनाएं सामने आई हैं. इन घटनाओं का संज्ञान लेते हुए राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने ये सूची मांगी है.

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Published : Jan 23, 2023, 10:42 AM IST

Updated : Jan 23, 2023, 1:24 PM IST

देहरादून:उत्तरकाशी जिले के मोरी इलाके में एक 22 वर्षीय दलित व्यक्ति पर एक मंदिर में कथित तौर पर जलती लकड़ियों से हमला करने का मामला सामने आया था. आरोप था कि इस व्यक्ति ने मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया था. इससे नाराज होकर उच्च जाति के पांच युवकों ने जलती लकड़ियों से इस शख्स को पीटा था. घटना इसी साल 9 जनवरी की थी. 11 जनवरी को, व्यक्ति के पिता ने पांच सवर्ण लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. मुकदमे के बाद पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था.

एससीएससी ने मांगी भेदभाव करने वाले मंदिरों की सूची: उत्तरकाशी की इस घटना का उत्तराखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग (एससीएससी) के अध्यक्ष मुकेश कुमार ने संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड के सभी जिलों से ऐसे मंदिरों और धार्मिक स्थलों की सूची तैयार करने को कहा है जहां दलितों के साथ भेदभाव होता है. इसको लेकर ईटीवी भारत से फोन पर हुई बातचीत में मुकेश कुमार ने बताया कि उत्तरकाशी के मोरी में दलित युवक की पिटाई मामले में उनके कड़े निर्देशों के बाद पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी की थी. इस मामले में उन्होंने उत्तरकाशी के अधिकारियों के साथ बैठक कर समाज में भेदभाव और रूढ़िवादिता को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी जिलों के एसएसपी और डीएम को भी पत्र भेज दिया है और मंदिरों में प्रवेश को लेकर एक समाज की तरफ से यदि दलित समाज के व्यक्ति पर कोई रोक लगाई जाती है, तो ऐसी स्थिति में इन लोगों को समझाने और ना मानने पर मुकदमा दर्ज करने के निर्देश भी दिए हैं. इसके साथ ही प्रदेश के सभी 13 जिलों के डीएम और एसएसपी/एसपी से भेदभाव करने वाले मंदिरों की लिस्ट मांगी गई है.

उत्तराखंड में दलित उत्पीड़न की घटनाएं.

जातिगत भेदभाव वाले तीन जिले चिन्हित: मुकेश कुमार का कहना है कि अगर किसी मंदिर में कुछ परंपराओं के कारण सभी भक्तों पर प्रतिबंध लागू होता है, तो वह स्वीकार्य है. लेकिन अगर यह केवल दलितों या निचली जाति के भक्तों पर लागू होता है, तो यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है.
ये भी पढ़ें-SC Youth Beaten: उत्तरकाशी में दलित को रात भर पीटने का मामला, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने लिया संज्ञान

उत्तराखंड में जाति आधारित भेदभाव की घटनाएं: गौर हो कि, जाति-आधारित भेदभाव की हालिया घटनाओं में, पिछले साल सितंबर में चंपावत में एक शादी में 'उच्च जाति' के मेहमानों के साथ खाने के लिए एक 45 वर्षीय दलित व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. उसी वर्ष उसी महीने में, अल्मोड़ा के सल्ट क्षेत्र में एक स्थानीय दलित राजनीतिक नेता को एक ऊंची जाति की युवती से शादी करने के दो सप्ताह के भीतर मृत पाया गया था, आरोप उसके ससुराल वालों पर लगा था.

दलित दूल्हे से घोड़े से उतरने को कहा गया था: वहीं, एक दलित दूल्हे को पिछले साल अल्मोड़ा में एक जुलूस के दौरान अपने घोड़े से उतरने के लिए कहा गया था. चंपावत के एक स्कूल में एक दलित भोजनमाता (रसोइया) द्वारा बनाए गए मध्याह्न भोजन को उच्च जाति के छात्रों ने छूने से इनकार कर दिया था. सामने आ रही ऐसी ही कुछ घटनाओं के बाद समाज में भेदभाव रोकने के लिए ये फैसला लिया गया है.

Last Updated : Jan 23, 2023, 1:24 PM IST

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