नरेंद्रनगर/ऋषिकेश:बदरीनाथ धाम के लिए तिल का तेल (sesame oil for Badrinath) निकालने की परंपरा शुक्रवार को नरेंद्रनगर राजमहल ( Narendra Nagar Rajmahal) में हुई. बदरीनाथ में ग्रीष्मकालीन पूजापाठ के दौरान बदरी विशाल के लेप और अखंड ज्योति के लिए तिल का तेल निकालने की प्रक्रिया सदियों पुरानी है. ये आज भी टिहरी नरेंद्रनगर राजमहल में निभाई जाती है.
नरेंद्रनगर राजमहल में निकाला जाता है तिलों का तेल: टिहरी के नरेंद्रनगर राजमहल में महारानी की अगुवाई में राज परिवार और डिमरी समाज की सुहागिन महिलाओं द्वारा तिल का तेल निकाला जाता है. इस बार रानी की पुत्री श्रीजा की अगुआई में तेल निकाला गया. यह तेल प्राचीन कोल्हू और हाथों से परंपरागत ढंग से ही निकाला जाता है. प्राचीन काल से इस परंपरा को ही बदरीनाथ जी के कपाट खुलने की प्रकिया की शुरुआत माना जाता रहा है.
तेल निकालने के बाद इसे एक घड़े में डाला जाता है जिसे गाडू घड़ा (gaadu ghada) कहा जाता है. इसके बाद ऋषिकेश से गढ़वाल के प्रमुख शहरों से होते हुए बदरीनाथ धाम जी के कपाट खुलने के दिन ही गाडू घड़ा यात्रा बदरीनाथ पहुंचती है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को टिहरी राजपरिवार और डिमरी समाज के लोग निभाते आ रहे हैं. कलश यात्रा अपने पहले पड़ाव पर रेलवे रोड स्थित चेला चेतराम धर्मशाला ऋषिकेश लाई जाएगी. शनिवार को लोगों के दर्शन के लिए कलश को रखा जाएगा. उसके बाद विभिन्न पड़ाओं से होकर पवित्र तेल बदरीनाथ धाम पहुंचेगा.
गाडू घड़ा कलश यात्रा का महत्व: उत्तराखंड में 400 सालों के गौरवमयी इतिहास को अपने में समेटे गाडू घड़ा यात्रा काफी मशहूर है. प्राचीन काल से ही गाडू घड़ा यात्रा को कपाट खुलने से पहले चारधाम यात्रा के प्रचार-प्रसार के लिए आयोजित किया जाता रहा है. साथ ही नरेंद्रनगर राजमहल गाडू घड़ा कलश यात्रा में भी शिरकत करता है. तिल के तेल से भगवान बदरी विशाल का पूरी यात्रा काल के दौरान अभिषेक और श्रृंगार किया जाता है. इस पूरी यात्रा में बदरीनाथ के डिमरी समाज का सबसे अहम रोल होता है. प्राचीन काल से ही बदरीनाथ धाम की यात्रा का प्रचार-प्रसार का जिम्मा डिमरी समाज के लोगों के ही पास है. गाडू घड़ा यात्रा को चारधाम यात्रा का आगाज भी माना जाता है.