नई दिल्ली : 41 वर्ष की एक महिला का ब्रेन डेड होना उत्तराखंड के 56 वर्षीय बुजुर्ग के लिए ब्लेसिंग इन डिस्गाइज़ साबित हुआ. उनका हार्ट अब इस व्यक्ति के शरीर में धड़क रहा है. यह करिश्मा दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हुआ, जहां डॉक्टरों ने सफल हार्ट ट्रांसप्लांट करके न सिर्फ एक बुजुर्ग की जान बचाई, बल्कि नया जीवन भी दिया.
उत्तराखंड के 56 वर्षीय बुजुर्ग का सिर्फ 90 फीसदी ही हार्ट काम कर रहा था. आखरी स्टेज में दिल पहुंच गया था और कभी भी फेल हो सकता था. तभी किसी देवदूत की तरह एक 41 वर्षीय महिला सामने आई और मरणोपरांत अपना दिल दान देकर उनकी जान बचाई. यह मामला दिल्ली के मैक्स साकेत सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल का है. गाजियाबाद के वैशाली में एक महिला का ब्रेन हेमरेज होने के बाद वह कोमा में चली गयी थी. फिर कुछ दिनों के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. अच्छी बात यह रही कि महिला के परिजनों ने अंगदान का समझदारी वाला फैसला तुरंत ले लिया, उनका यही निर्णय 56 वर्षीय बुजुर्ग को एक नई जिंदगी दे गया.
दो बार हो चुका है हार्ट ट्रांसप्लांट
लॉकडाउन खुलने के बाद निजी अस्पतालों में पहली बार मैक्स साकेत हॉस्पिटल में अब तक दो बार हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है. कुछ दिन पहले गाजियाबाद के वैशाली में एक 41 वर्षीय युवती के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद जब उसके परिजनों ने ऑर्गन डोनेशन का फैसला किया, तो मैक्स साकेत हॉस्पिटल में 56 वर्षीय एक बुजुर्ग किसी हार्ट डोनेशन का इंतजार कर रहे थे, जैसे ही परिजनों ने ऑर्गन डोनेशन के लिए अपनी सहमति दी मैक्स साकेत अस्पताल की टीम ने इसकी सूचना नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन को दे दी. उसके बाद साकेत अस्पताल की टीम डोनर के पास पहुंचकर हार्ट रिट्रीव किया. वैशाली के मैक्स अस्पताल में किडनी और लीवर किसी दूसरे मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया. जबकि हार्ट दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल साकेत में भेजा गया. इसे एक 56 वर्षीय व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट कर उनकी जान बचाई गई.