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जानिए कहां और क्यों बुजुर्ग के सीने में धड़कता है महिला का दिल - अंगदान

कभी-कभी ऐसा होता है, जिसपर सहसा विश्वास नहीं होता. ऐसा ही करिश्मा दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हुआ, जहां एक महिला की मौत एक बुजुर्ग को जीवनदान दे गया. ब्रेन डेड से मृत हो चुकी 41 वर्षीय महिला के परिजनों ने अंगदान का साहसिक निर्णय लिया और डॉक्टरों ने उसका दिल उत्तराखंड के एक व्यक्ति के शरीर में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट कर दिया. अब महिला का दिल बुजुर्ग के सीने में धड़क रहा है.

heart transplantation
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Published : Dec 28, 2020, 3:45 PM IST

Updated : Dec 28, 2020, 5:21 PM IST

नई दिल्ली : 41 वर्ष की एक महिला का ब्रेन डेड होना उत्तराखंड के 56 वर्षीय बुजुर्ग के लिए ब्लेसिंग इन डिस्गाइज़ साबित हुआ. उनका हार्ट अब इस व्यक्ति के शरीर में धड़क रहा है. यह करिश्मा दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हुआ, जहां डॉक्टरों ने सफल हार्ट ट्रांसप्लांट करके न सिर्फ एक बुजुर्ग की जान बचाई, बल्कि नया जीवन भी दिया.

उत्तराखंड के 56 वर्षीय बुजुर्ग का सिर्फ 90 फीसदी ही हार्ट काम कर रहा था. आखरी स्टेज में दिल पहुंच गया था और कभी भी फेल हो सकता था. तभी किसी देवदूत की तरह एक 41 वर्षीय महिला सामने आई और मरणोपरांत अपना दिल दान देकर उनकी जान बचाई. यह मामला दिल्ली के मैक्स साकेत सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल का है. गाजियाबाद के वैशाली में एक महिला का ब्रेन हेमरेज होने के बाद वह कोमा में चली गयी थी. फिर कुछ दिनों के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. अच्छी बात यह रही कि महिला के परिजनों ने अंगदान का समझदारी वाला फैसला तुरंत ले लिया, उनका यही निर्णय 56 वर्षीय बुजुर्ग को एक नई जिंदगी दे गया.

साकेत मैक्स में बुजुर्ग का किया गया हार्ट ट्रांसप्लांट.

दो बार हो चुका है हार्ट ट्रांसप्लांट
लॉकडाउन खुलने के बाद निजी अस्पतालों में पहली बार मैक्स साकेत हॉस्पिटल में अब तक दो बार हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है. कुछ दिन पहले गाजियाबाद के वैशाली में एक 41 वर्षीय युवती के ब्रेन डेड घोषित होने के बाद जब उसके परिजनों ने ऑर्गन डोनेशन का फैसला किया, तो मैक्स साकेत हॉस्पिटल में 56 वर्षीय एक बुजुर्ग किसी हार्ट डोनेशन का इंतजार कर रहे थे, जैसे ही परिजनों ने ऑर्गन डोनेशन के लिए अपनी सहमति दी मैक्स साकेत अस्पताल की टीम ने इसकी सूचना नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन को दे दी. उसके बाद साकेत अस्पताल की टीम डोनर के पास पहुंचकर हार्ट रिट्रीव किया. वैशाली के मैक्स अस्पताल में किडनी और लीवर किसी दूसरे मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया. जबकि हार्ट दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल साकेत में भेजा गया. इसे एक 56 वर्षीय व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट कर उनकी जान बचाई गई.

दो-तीन महीने से था दिल का इंतजार
डॉक्टर केवल ने बताया कि उनके यहां एक 56 वर्षीय ऐसा मरीज आया जो एंड स्टेज हार्ट फैलियर से पीड़ित थे. उनका हार्ट केवल 20 परसेंट ही काम कर रहा था. इसकी वजह से उन्हें काम करने में बहुत दिक्कत हो रही थी. सांस बहुत जल्दी फूल जाता था, हाथ पैर में सूजन रहती थी. वह कहीं चल भी नहीं पाते थे. जब उनके हार्ट का ईको यानी सोनोग्राफी की गई, तो पता चला कि उनके हार्ट का फंक्शन बहुत ही खराब है. कोई डोनर नहीं होने की वजह से पिछले दो-तीन महीने से हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार हो रहा था.

15 से 20 साल तक धड़केगा दिल

डॉ. केवल कृष्ण ने बताया कि वैशाली मैक्स हॉस्पिटल में एक 41 वर्षीय महिला का ब्रेन हेमरेज होने की वजह से उनकी मौत हो गई. उनके परिवार वालों ने तुरंत फैसला किया कि उनके अंगों को किसी दूसरे व्यक्ति की जान बचाने के लिए दान कर दिया जाए. इसी महिला का हार्ट उस 56 वर्षीय व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया है. अब वह स्वस्थ्य हैं और वह कम से कम 15 से 20 साल तक इस ट्रांसप्लांट किए हुए हार्ट की मदद से जीवित रह सकते हैं.

Last Updated : Dec 28, 2020, 5:21 PM IST

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