देहरादून (उत्तराखंड):उत्तराखंड सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी किसानों को जंगली जानवरों से राहत नहीं मिल पा रही है. वैसे तो प्रदेश में किसानों की खेती को कई जंगली जानवर नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बंदर और जंगली सूअर हैं. हालांकि बंदरों के लिए उत्तराखंड वन विभाग की तरफ से अभियान चलाया है, लेकिन जंगली सूअर को लेकर सरकार लाचार दिखाई देती है. पूर्व में जंगली सूअरों के आतंक को देखते हुए उन्हें मारने की अनुमति भी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से ली गई थी, लेकिन पहाड़ों पर राज्य का यह प्रयोग भी सफल नहीं हुआ है. लिहाजा अब वन विभाग नए प्लान को इंप्लीमेंट करने के रूप में ऑपरेशन लोमड़ी शुरू करने की तैयारी में है.
जंगली सूअरों को मारने का लिया गया फैसला:उत्तराखंड में बंदरों और जंगली सूअरों के कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. राज्य सरकार ने बंदरों के लिए तो बंध्याकरण पर काम किया है और यही कारण है कि 2015 में हुई बंदरों की जनगणना के दौरान उनकी संख्या 1 लाख 49 हजार के करीब थी. वहीं 2021 में हुई बंदरों की गणना के दौरान इनकी संख्या में करीब 39 हजार की कमी हुई और अभी ये संख्या 1 लाख 10 दस हजार रह गई है. सरकार की तरफ से जंगली सूअरों की संख्या में भी नियंत्रण के लिए उनको मारने की अनुमति देने का फैसला लिया गया, लेकिन इसका कुछ खास फायदा नहीं हो पाया.
रेड फॉक्स जंगली सूअरों की संख्या में नियंत्रण के लिए अहम:उत्तराखंड वन विभाग मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि जंगली सूअरों से किसानों को राहत देने के लिए वन विभाग ऑपरेशन लोमड़ी शुरू करने जा रहा है. जिसके तहत विलुप्त होती लोमड़ियों की संख्या को बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा, ताकि जंगली सूअरों की संख्या पर नियंत्रण पाया जा सके. उत्तराखंड ही नहीं बल्कि हिमाचल और तमाम हिमालय राज्यों में जंगली सूअरों का प्रकोप किसानों पर दिखाई देता है. हिमालय क्षेत्र में मिलने वाली लाल लोमड़ी या रेड फॉक्स जंगली सूअरों की संख्या में नियंत्रण के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती रही है, लेकिन समय के साथ यह लोमड़ी विलुप्त होती जा रही है और तमाम जगहों पर कैमरा ट्रैप लगाने के दौरान इनकी मौजूदगी काफी कम ही मिल पाती है.