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King Cobra का गढ़ बनता जा रहा नैनीताल, गर्म स्थान के सांप की ठंडी जगह पर घुसपैठ

यूं तो उत्तराखंड में सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन कुमाऊं का नैनीताल जिला सबसे जहरीले सांपों में से एक किंग कोबरा का गढ़ माना जा रहा है. ऐसा वन विभाग के एक शोध में पाया गया है. वन विभाग की नैनीताल रिसर्च विंग अब किंग कोबरा पर एक रिसर्च करने जा रही है कि आखिर कैसे इतने ठंडे क्षेत्र को किंग कोबरा ने अपना जोन बना लिया है.

King Cobra
किंग कोबरा

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Published : Sep 15, 2022, 1:08 PM IST

हल्द्वानी:किंग कोबरा का नाम सुनते ही लोगों में दहशत पैदा हो जाती है. किंग कोबरा सबसे जहरीले सांपों में माना जाता है. वन महकमे के शोध की मानें तो उत्तर भारत में नैनीताल जिले को किंग कोबरा का वास माना जा सकता है. समुद्र तल से 2400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मुक्तेश्वर से लेकर मैदान में कार्बेट नेशनल पार्क तक में इनके घोंसले मिले मिल रहे हैं. वन विभाग की नैनीताल रिसर्च विंग एक रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिससे ये संकेत मिल रहे हैं कि उत्तराखंड का नैनीताल जिला किंग कोबरा का गढ़ बन रहा है.

रिपोर्ट के मुताबिक नैनीताल के मनौरा, भवाली और मुक्तेश्वर रेंज में सबसे अधिक किंग कोबरा देखे जा रहे हैं. इससे पता चलता है कि किंग कोबरा को नैनीताल का परिवेश भा रहा है. ऐसा माना जाता है कि आमतौर पर किंग कोबरा गर्म इलाकों को ही पसंद करता है और ठंडी जगहों से दूर रहता है. अध्ययन में पाया गया है कि इस प्रजाति को सिक्किम में 1,840 मीटर, मिजोरम में 1,170 मीटर ऊंचाई पर देखा गया है. लेकिन नैनीताल के मुक्तेश्वर के 2400 मीटर ऊंचाई में किंग कोबरा का भारी संख्या में वास स्थल है.

King Cobra का गढ़ बनता जा रहा नैनीताल.

रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड के नैनीताल, पौड़ी, देहरादून, हरिद्वार और उत्तरकाशी में किंग कोबरा पाए जाते हैं. लेकिन नैनीताल जिले में किंग कोबरा की सबसे अधिक मौजूदगी पाई जा रही है. कुछ दिन पहले रुद्रप्रयगा जिले के ऊखीमठ में भी किंग कोबरा देखा गया था. मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं पीके पात्रो के मुताबिक रेन फॉरेस्ट वाले परंपरागत हैबिटेट (प्राकृतिक वास) के बाहर किंग कोबरा की सबसे अधिक संख्या है. वन विभाग के शोधकर्ता हैरान हैं कि आखिर नैनीताल जिले में ही किंग कोबरा की इतनी मौजूदगी कैसे बढ़ रही है, जबकि किंग कोबरा ठंड से दूर रहने वाला प्राणी है.
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उन्होंने बताया कि नैनीताल के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में किंग कोबरा के अधिक वास स्थल पाये जा रहे हैं. इसके लिए वन विभाग की रिसर्च विंग काम कर रही है. इसके अलावा इन प्रजातियों को कैसे संरक्षित किया जाए, इसके लिए भी विभाग काम कर रहा है. वन विभाग की रेस्क्यू टीम आबादी वाले क्षेत्र में आने वाले किंग कोबरा को रेस्क्यू करने का भी काम कर रही है. जहां रेस्क्यू कर उनको सुरक्षित जगह पर छोड़ा जाता है.

किंग कोबरा- एक परभक्षी प्राणी:रिपोर्ट के मुताबिक जहां अन्य सांप चूहों को खाकर अपनी भूख मिटाते हैं, वहीं किंग कोबरा वाइपर, करैत जैसे सांप आबादी में दस्तक देकर लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं. किंग कोबरा छिपकली या गिरगिट जैसे अन्य जीवों को खाता है. आकार के हिसाब से यह दुनिया का सबसे बड़ा विषैला सांप है. जिसकी लंबाई 20 फुट तक होती है. किंग कोबरा दुनिया में सांपों की अकेली प्रजाति है, जो मादा अंडे देने से पहले अपना घोंसला बनाती है

किंग कोबारा के बारे में खास बातें:किंग कोबरा दुनिया के सबसे खतरनाक सांपों में से एक माना जाता है. इसके एक मिलीग्राम जहर से व्यक्ति की जान जा सकती है. कोबरा पत्‍तों के बीच एक बार में 20 से 35 अंडे देते हैं. किंग कोबरा को कितना जहर स्राव करना है, यह वे खुद तय करते हैं. कई बार बिना जहर छोड़े भी काटते हैं. इनकी अधिकतम लंबाई 20 फुट तक होती है.

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