हल्द्वानी (उत्तराखंड): आदि कैलाश की यात्रा कैलाश मानसरोवर यात्रा जितनी ही कठिन और श्रम साध्य यात्रा है. पहले इस यात्रा के लिए सड़क ना होने के कारण आवागमन में करीब 200 किलोमीटर पैदल चलना होता था. अब भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार के प्रयासों और सीमा सड़क निर्माण विभाग के सानिध्य में नावीढांग एवं जोलीकांग तक राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य चल रहा है. इससे यात्रियों को करीब सौ किलोमीटर से अधिक पैदल नहीं चलना होगा.
आदि कैलाश यात्रा पर रवाना हुए तीर्थयात्री: पहले दल में 9 महिलाओं समेत 19 यात्री शामिल हैं. इसके अलावा निगम के गाइड शामिल हैं. कुमाऊं मंडल विकास निगम के अतिथि गृह में यात्रियों का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया. कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक दिनेश तोमर ने यात्री दल को हरी झंडी दिखाकर पिथौरागढ़ के लिए रवाना किया. इस मौके पर उन्होंने यात्रियों की सुखद यात्रा की कामना की. आदि कैलाश यात्रा को लेकर भोले के श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह है.
केएमवीएन ने की है खास तैयारी: कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक विनीत तोमर के मुताबिक सबसे अच्छी बात तो यह है कि अभी मौसम पूरी तरह से खुला हुआ है और पहाड़ी इलाकों में भी फिलहाल मौसम साफ है. इस साल कुल 34 दिन आदि कैलाश की यात्रा होगी. 20 जून तक तीर्थयात्री आदि कैलाश भेजे जाएंगे. बाकी 14 दल मानसून के बाद सितंबर, अक्टूबर में आदि कैलाश के दर्शन के लिए जाएंगे. यात्रा में हेल्थ चेक अप समेत अन्य सुविधाओं का ध्यान रखा गया है.
क्या है आदि कैलाश यात्रा:स्कंद पुराण के मानस खंड में आदि कैलाश एवं ऊं पर्वत की यात्रा को कैलाश मानसरोवर यात्रा जितनी ही प्रमुखता दी गई है. पिथौरागढ़ जिले में भारत तिब्बत सीमा के पास स्थित आदि कैलाश की छवि कैलाश पर्वत की जैसी है. मान्यता है कि आदि कैलाश पर भी समय-समय पर भोले बाबा का निवास रहा है. वेद पुराणों के अनुसार पास ही स्थित पार्वती सरोवर में माता पार्वती का स्नान स्थल हुआ करता था. ऊं पर्वत तीन देशों की सीमाओं से लगा हुआ है. इस स्थान के धार्मिक एवं पौराणिक महत्व का वर्णन रामायण, महाभारत और पुराणों में मिलता है.