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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा सौंपा - उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (Uttarakhand Chief Minister) तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया (Tirath Singh Rawat Resigns) है. उन्होंने पिछले 24 घंटों के भीतर दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. पौड़ी से लोकसभा सांसद रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था.

तीरथ सिंह रावत
तीरथ सिंह रावत

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Published : Jul 2, 2021, 11:25 PM IST

Updated : Jul 3, 2021, 12:22 AM IST

नई दिल्ली : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (Uttarakhand Chief Minister) तीरथ सिंह रावत ने पद से इस्तीफा दे दिया (Tirath Singh Rawat Resigns) है. बता दें, उन्होंने देर रात राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा सौंपा. हालांकि अगले सीएम के बनने तक तीरथ सिंह रावत कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे.

इस्तीफा देने के बाद तीरथ सिंह रावत ने पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभार जताया. इससे पहले उन्होंने पिछले 24 घंटों के भीतर दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. पौड़ी से लोकसभा सांसद रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था.

इससे पहले उन्होंने पत्र के ज़रिए बीजेपी हाईकमान को अपने इस्तीफे की पेशकश की. उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष को भेजे अपने पत्र में जनप्रतिधि कानून की धारा 191 ए का हवाला दिया और कहा कि वो अगले 6 महीने में चुनकर दोबारा नहीं आ सकते. पार्टी ने इस सियासी संकट को दूर करने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. उनकी मौजूदगी में शनिवार को 4 बजे देहरादून में विधायक दल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें नए सीएम पर फैसला हो सकता है.

बता दें, प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है. चूंकि राज्य में अगले ही साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित है और इसमें साल भर से कम का समय बचा है, ऐसे में कानून के जानकारों का मानना है कि उपचुनाव कराए जाने का फैसला निर्वाचन आयोग के विवेक पर निर्भर करता है.

भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत का इस वर्ष अप्रैल में निधन होने से गंगोत्री सीट रिक्त हुई है जबकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश के निधन से हल्द्वानी सीट खाली हुई है. हालांकि, अभी तक चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा नहीं की है.

ज्ञात हो कि कोरोना काल में चुनाव कराने को लेकर निर्वाचन आयोग को पिछले दिनों अदालत की कड़ी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ऐसे में निर्वाचन आयोग के लिए उपचुनाव कराना इतना आसान नहीं है. हालांकि, भाजपा नेताओं का कहना है कि आम चुनाव में साल भर से कम समय शेष होने के कारण उपचुनाव कराना निर्वाचन आयोग की बाध्यता नहीं है.

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विकासनगर से भाजपा विधायक और पूर्व प्रदेश पार्टी प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह से चुनाव आयोग के दायरे में है कि राज्य में उपचुनाव कराना है या नहीं. सब कुछ निर्वाचन आयोग पर निर्भर करता है.

अगर उपचुनाव होता है तो रावत उसमें निर्वाचित होकर मुख्यमंत्री के पद पर बने रह सकते हैं, लेकिन प्रदेश के विधानसभा चुनावों में एक साल से भी कम का समय बचे होने के मददेनजर उपचुनाव होने पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं. राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि उपचुनाव न होने की स्थिति में संवैधानिक संकट का हल तभी निकल सकता है, जब मुख्यमंत्री रावत के स्थान पर किसी ऐसे व्यक्ति को कमान सौंपी जाए जो विधायक हो

Last Updated : Jul 3, 2021, 12:22 AM IST

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